'.मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के ऐलान के 48 घंटे के अंदर ही एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाया गया. राज्य की ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना 'कर्मश्री' का नाम अब बदलकर 'महात्मा-श्री' कर दिया गया है. पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने शुक्रवार को एक नोटिफिकेशन जारी करके नाम बदलने की आधिकारिक घोषणा की.
राज्य सरकार ने यह फैसला केंद्र सरकार के 100 दिन की काम की योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने के विरोध में लिया. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से पहले 100 दिन की काम की योजना के बकाया पेमेंट को लेकर शुरू हुए आंदोलन को अब विधानसभा चुनाव से पहले पहचान की लड़ाई में बदल दिया है.
राज्य पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के सेक्रेटरी के साइन किए हुए इस नोटिफिकेशन में साफ-साफ लिखा है कि 7 मार्च, 2024 को शुरू किया गया 'कर्मश्री' प्रोजेक्ट अब से 'महात्मा-श्री' के नाम से जाना जाएगा. यह नया नाम नोटिफिकेशन की तारीख, 19 दिसंबर से लागू है. नाम में बदलाव गवर्नर की इजाजत से किया गया.
नए नाम के साथ ही सरकारी निर्देश में प्रोजेक्ट के मकसद भी साफ किए गए हैं. 'महात्मा-श्री' प्रोजेक्ट का मुख्य मकसद हर फाइनेंशियल ईयर में हर जॉब कार्ड रखने वाले परिवार को कम से कम 100 दिन का मजदूरी वाला रोजगार पक्का करना है. यह काम राज्य सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंट द्वारा चलाए जा रहे प्रोग्राम के जरिए दिया जाएगा.
हालांकि यह एक प्रशासनिक निर्देश है लेकिन इस नाम बदलने के पीछे राजनीतिक कारण है. संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार ने सेंट्रल 100-डे वर्क स्कीम का नाम बदलने के लिए एक बिल पास किया. महात्मा गांधी का नाम हटा दिया गया है, और नया नाम 'VB G Ram G' है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और कई दूसरी विपक्षी पार्टियों ने इसका कड़ा विरोध किया. विपक्ष के विरोध से संसद में रुकावट आई. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस कदम की आलोचना की.
एक इंडस्ट्रियल कॉन्फ्रेंस के मंच से मुख्यमंत्री ने साफ-साफ कहा कि इस तरह से राष्ट्रपिता का अपमान करना बहुत शर्मनाक है. उन्होंने कहा, 'हम भिखारी नहीं हैं, हमें सम्मान चाहिए. अगर आप महात्मा गांधी को सम्मान नहीं दे सकते, तो हम देंगे. बंगाल में कर्मश्री प्रोजेक्ट के तहत 70 से 100 दिन का काम दिया जाएगा और यह महात्मा गांधी के नाम पर होगा.'
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले इस नाम में बदलाव बहुत जरूरी है. उनके मुताबिक राज्य के अपने फंड से जॉब कार्ड होल्डर्स को पेमेंट करके ममता बनर्जी ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं रहेंगी. अब स्कीम का नाम बदलकर और इसे महात्मा गांधी से जोड़कर, उन्होंने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं.
सबसे पहले उन्होंने बीजेपी पर महात्मा गांधी का अपमान करने का आरोप लगाकर राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा राजनीतिक संदेश है. दूसरा, राज्य की अपनी स्कीम की खासियत बनाए रखते हुए, उन्होंने इमोशनल पॉलिटिक्स के जरिए विपक्ष को घेरा. इस बीच, नाम बदलने से स्कीम के स्वरूप या फायदों में कोई बदलाव नहीं होगा. सिर्फ 7 मार्च, 2024 को जारी ओरिजिनल नोटिफिकेशन में स्कीम के नाम में बदलाव किया गया है. बाकी सभी नियम और कानून वैसे ही रहेंगे.

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