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सरकार जरूर करे ये काम, वरना बच्चे भूल जाएंगे कि....The government must do this work, otherwise the children will forget that...

 सूधा मूर्ति

राज्यसभा की मनोनीत सदस्य सुधा मूर्ति ने स्कूलों में वंदे मातरम् गीत को अनिवार्य किए जाने की मांग की है। उन्होंने मंगलवार को सरकार से प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में राष्ट्र गीत 'वंदे मातरम्' का गायन अनिवार्य करने का आग्रह किया। इस गीत की रचना की 150वीं वर्षगांठ पर राज्यसभा में हुई चर्चा में भाग लेते हुए सुधा मूर्ति ने कहा, 'मैं यहां एक सांसद, समाजसेवी या लेखिका के रूप में नहीं खड़ी हूं। मैं यहां भारत माता की एक बेटी के रूप में खड़ी हूं।' उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत की भूमिका को याद करते हुए कहा, 'जब भारत परतंत्र था, तो हमारा आत्मविश्वास डगमगा गया था और हम निराश थे।



स्कूलों में वंदे मातरम् अनिवार्य किया जाएः सुधा मूर्ति

मनोनीत सदस्य ने कहा, 'उस समय, वंदे मातरम् ज्वालामुखी के लावा की तरह फूट पड़ा। मैं हुबली के एक छोटे से कस्बे से हूं। मेरे दादाजी बताया करते थे कि यह ब्रिटिश राज के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक था। वंदे मातरम् में एक जादुई स्पर्श था।' विद्यालयों में इस गीत को पढ़ाने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को अगर यह नहीं पढ़ाया गया तो वे 'वंदे मातरम्' का पूरा पाठ भूल जाएंगे।' मूर्ति ने शिक्षा विभाग से, खासकर प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में, राष्ट्रीय गीत को अनिवार्य बनाने का अनुरोध किया।

भारत को जोड़ने वाली सुई-धागा है वंदे मातरम्

सूधा मूर्ति ने भारत को एक ऐसी रजाई बताया जिसमें हर राज्य एक अलग रंग का कपड़ा है, और उसे एक साथ जोड़ने वाली सुई-धागा वंदे मातरम् है। उन्होंने कहा, 'देश का नक्शा या झंडा नहीं, बल्कि भूमि को मातृभूमि के रूप में देखने का विचार हमें जोड़ता है। यह सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं, यह हमारी मां-मातृभूमि है।'

ए.आर. रहमान ने विरोधियों को गलत साबित किया

चर्चा में हिस्सा लेते हुए शिवसेना सदस्य मिलिंद देवरा ने कहा कि संगीतकार ए.आर. रहमान द्वारा 'वंदे मातरम्' गीत की प्रस्तुति ने उन सभी लोगों को गलत साबित कर दिया है जो 88 साल पहले राष्ट्र गीत को छोटा करने के लिए ज़िम्मेदार थे। उन्होंने कहा कि 'वंदे मातरम्' केवल हमारा राष्ट्र गीत नहीं है, बल्कि यह वास्तव में भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का प्रतीक है। शिवसेना के सांसद ने कहा कि आज वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य से कहना चाहेंगे कि ए.आर. रहमान का संस्करण एक गौरवान्वित भारतीय द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जो संयोग से एक मुसलमान भी हैं। शिवसेना सदस्य ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूरा 'वंदे मातरम्' कभी-कभी ही सुना जाता है।

राज्यसभा में मोहम्मद इकबाल का जिक्र आया सामने

नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्य चौधरी मोहम्मद रमज़ान ने कहा कि 'वंदे मातरम्' गीत का जो अंश छोड़ा गया है, उसमें देवी-देवताओं की पूजा की बात है और इस्लाम मूर्ति पूजा की इजाजत नहीं देता। उन्होंने कहा, 'हम हिंदू, ईसाई और सिखों का सम्मान करते हैं। अगर आप गाना चाहते हैं, गाए। हम इसका सम्मान करते हैं... इस्लाम देवी-देवताओं की पूजा की इजाज़त नहीं देता है। इसीलिए सिर्फ उन्हीं छंदों को लिया गया है।' उन्होंने मोहम्मद इकबाल द्वारा रचित 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा' का भी जिक्र किया और कहा कि यह गीत एक मुसलमान ने उर्दू में लिखा है।

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