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डीज़ल युग का विसर्जन, हरित भारत का अभिषेक The end of the diesel era, the dawn of a green India.

  लोहे की पटरियों पर विकास का विद्युत हस्ताक्षर]

[हरित ऊर्जा की रफ्तार पर सवार भारत: रेल इतिहास का स्वर्णकाल]

 


·      प्रो. आरके जैन “अरिजीत”

 

जब कोई राष्ट्र इतिहास रचता है, तो उसकी गूंज सीमाओं से परे जाती है। दिसंबर 2025 में भारतीय रेलवे ने ऐसा ही एक स्वर्णिम अध्याय लिखा, जब ब्रॉड-गेज रेल नेटवर्क का 99.2 प्रतिशत विद्युतीकरण पूर्ण हुआ। यह उपलब्धि मात्र आँकड़ों की बाज़ीगरी नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच, निर्णायक नेतृत्व और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की अथक मेहनत का जीवंत प्रमाण है। जिस दौर में कई तथाकथित विकसित देश आज भी डीज़ल आधारित ढांचे पर निर्भर हैं, उसी दौर में भारत ने अपने विशाल रेल नेटवर्क को हरित ऊर्जा से जोड़कर नई दिशा तय कर दी। यह आत्मनिर्भर भारत की बुलंद घोषणा है, पर्यावरण संरक्षण की ठोस पहल है और नए भारत के आत्मविश्वास का उद्घोष है। मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि बड़े सपने देखने और असंभव को संभव में बदलने का साहस और सामर्थ्य आज भारत के पास है।

यदि हम 2014 से पहले की स्थिति पर नज़र डालें, तो वर्तमान प्रगति किसी चमत्कार से कम नहीं लगती। आज़ादी के बाद लगभग छह दशकों में, यानी 2014 तक, भारतीय रेलवे का केवल 21,801 किलोमीटर मार्ग ही विद्युतीकृत हो सका था। योजनाओं की सुस्ती, निर्णयों की कमी और इच्छाशक्ति के अभाव ने विकास को जकड़ रखा था। लेकिन 2014 के बाद तस्वीर पूरी तरह बदल गई। मोदी सरकार के नेतृत्व में 2014 से 2025 के बीच 46,900 किलोमीटर से अधिक रेल मार्गों का विद्युतीकरण किया गया, जो पहले के कुल कार्य से भी दोगुने से अधिक है। विशेष रूप से 2019 से 2025 के बीच 33,000 किलोमीटर से ज्यादा का विद्युतीकरण हुआ, यानी औसतन प्रतिदिन 15 किलोमीटर से अधिक की रफ्तार। यह दूरी जर्मनी जैसे देश के संपूर्ण रेल नेटवर्क के बराबर है। यह प्रगति मिशन मोड में काम करने वाली सरकार, बाधाओं को अवसर में बदलने वाली सोच और परिणाम देने वाली इच्छाशक्ति का प्रतिफल है।

वैश्विक परिदृश्य में भारत की यह उपलब्धि और भी अधिक प्रभावशाली बन जाती है। इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेलवेज (यूआईसी) की जून 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का 99.2 प्रतिशत विद्युतीकरण कई विकसित देशों से कहीं आगे है। ब्रिटेन जहाँ 39 प्रतिशत पर है, वहीं रूस 52 प्रतिशत, फ्रांस 60 प्रतिशत, जापान 64 प्रतिशत, स्पेन 67 प्रतिशत और चीन 82 प्रतिशत पर ही सिमटे हुए हैं। दुनिया के अनेक बड़े रेल नेटवर्क आज भी डीज़ल की खपत से जूझ रहे हैं, जबकि भारत ने अपने सबसे व्यस्त और व्यापक नेटवर्क को हरित ऊर्जा से संचालित कर दिखाया है। इसका प्रत्यक्ष लाभ यह हुआ कि डीज़ल आयात पर निर्भरता घटी, विदेशी मुद्रा की बचत हुई और परिचालन लागत में करोड़ों रुपये की कमी आई। साथ ही, कार्बन उत्सर्जन में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को नई मजबूती मिली।

पर्यावरणीय दृष्टि से यह क्रांति अत्यंत महत्वपूर्ण है। रेल परिवहन, सड़क परिवहन की तुलना में लगभग 89 प्रतिशत कम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करता है। एक टन माल को एक किलोमीटर तक ले जाने में रेल से मात्र 11.5 ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होता है, जबकि सड़क परिवहन से यही आंकड़ा 101 ग्राम तक पहुँच जाता है। विद्युतीकरण ने इस अंतर को और भी प्रभावी बना दिया है। मोदी सरकार की नीतियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हो सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में भारत अब केवल सहभागी नहीं, बल्कि मार्गदर्शक की भूमिका में उभर रहा है।

मोदी सरकार की दृष्टि केवल तारों और खंभों तक सीमित नहीं है, बल्कि ऊर्जा के स्रोतों में भी क्रांतिकारी परिवर्तन किया गया है। नवंबर 2025 तक रेलवे में 812 मेगावाट सौर ऊर्जा और 93 मेगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं, जो सीधे ट्रैक्शन आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त 1,500 मेगावाट से अधिक की हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का प्रबंध किया गया है। भारतीय रेलवे अब आधुनिक थ्री-फेज आईजीबीटी तकनीक वाले लोकोमोटिव का निर्माण कर रहा है, जो ब्रेकिंग के दौरान ऊर्जा को पुनः उत्पन्न करते हैं। यह ‘मेक इन इंडिया’ की सशक्त मिसाल है, जो आयात पर निर्भरता घटाने, रोजगार सृजन बढ़ाने और 2030 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को साकार करने में सहायक है। यह प्रधानमंत्री के पंचामृत संकल्प का सजीव रूप है।

इस विद्युतीकरण क्रांति का सबसे बड़ा लाभ देश की आम जनता को मिला है। विद्युतीकृत मार्गों पर ट्रेनें अधिक तेज़, सुरक्षित और विश्वसनीय हो गई हैं। देरी में कमी आई है और किरायों पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ा है। देश के 14 रेलवे जोन और 25 राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश पूरी तरह विद्युतीकृत हो चुके हैं। पूर्वोत्तर के राज्य—अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड—जहाँ कभी बुनियादी ढांचे की कमी महसूस होती थी, अब 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के साथ विकास की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी अत्याधुनिक ट्रेनें बिजली से संचालित होकर यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएँ प्रदान कर रही हैं। यह जन-केंद्रित शासन की स्पष्ट झलक है, जो रेलवे को सचमुच करोड़ों भारतीयों की जीवनरेखा बना रहा है।

भारतीय रेलवे का यह विद्युतीकरण अभियान मोदी सरकार की अटूट इच्छाशक्ति, कुशल प्रशासन और राष्ट्रप्रथम सोच का अनुपम उदाहरण है। जहाँ कभी योजनाएँ फाइलों में सिमटी रहती थीं, वहाँ आज रफ्तार, हरित ऊर्जा और तकनीकी नवाचार का तूफान दिखाई देता है। यह नए भारत का आत्मघोष है—एक ऐसा भारत जो न केवल अपने लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बन रहा है। शीघ्र ही 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य प्राप्त कर यह उपलब्धि विश्व इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगी और आने वाली पीढ़ियों को बताएगी कि जब संकल्प मज़बूत हो, तो राष्ट्र असंभव को भी संभव बना सकता है।

 

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