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जज साहब को सिर्फ 6 हफ्ते की मोहलत... नोटों के अधजले जखीरे पर देना होगा जवाबThe judge has given only six weeks' time... a response will have to be given regarding the pile of partially burned currency notes.

 दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा , जिनके घर पर जले हुए नोटों का जखीरा मिलने के बाद हंगामा मच गया था। अब उन्हें इस मामले पर जवाब देने के लिए सिर्फ 6 हफ्ते का समय दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के जज अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने जस्टिस वर्मा से जवाब देने के लिए कहा है। इस पैनल में 3 जज जस्टिस अरविंद कुमार, मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एम एम श्रीवास्तव और सीनियर एडवोकेट बी वी आचार्य शामिल हैं। समिति का गठन 146 सांसदों के हस्ताक्षर वाले प्रस्ताव के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने किया था।


इससे पहले 5 दिसंबर की कार्यवाही में जस्टिस वर्मा ने जवाब देने के लिए आठ हफ्ते का समय मांगा था। लेकिन कमेटी ने उन्हें 6 हफ्ते के अंदर जवाब देने के लिए कहा है। जस्टिस वर्मा के घर नोटों के बंडल मिलने का मामला पहले ही लोकसभा पहुंच चुका है, जहां पर उन्हें हटाने का प्रस्ताव लाया गया है। छह हफ्ते का समय देते हुए कमेटी ने साफ कहा है कि अब जस्टिस वर्मा को जवाब देने के लिए इससे ज्यादा समय नहीं दिया जाएगा।

सबूतों के साथ दिया पैनल ने मेमो

दरअसल, इस मामले में कार्यवाही जनवरी के आखिरी हफ्ते में फिर से शुरू होने वाली है। जांच पैनल ने आरोपों का मेमो सबूतों के साथ दिया है। इसमें मुख्य रूप से 14-15 मार्च की रात के मामले को दोहराया गया है। इसमें दिल्ली पुलिस और दिल्ली फायर सर्विस के कर्मचारियों के बयान भी शामिल हैं, जिसमें जज के लुटियंस जोन बंगले के एक कमरे में आग बुझाते समय रिकॉर्ड किए गए जलते हुए कैश के वीडियो भी शामिल है। इतना ही नहीं इसमें पूर्व CJI संजीव खन्ना के बनाए गए एक पैनल की इन-हाउस जांच में दर्ज गवाहों के बयान भी शामिल हैं।

सबूत पेश करन का भी मिलेगा मौका

लोकसभा स्पीकर ने जो जांच पैनल बनाया है, जस्टिस वर्मा को उसके सामने अपनी बेगुनाही के सबूत पेश करने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं जस्टिस वर्मा को खुद पर लगे आरोपों के मेमो का समर्थन करने वाले गवाहों से क्रॉस-एग्जामिन करने की सुविधा भी दी जाएगा। बता दें कि जस्टिस वर्मा के घर से कैश मिलने के एक हफ्त बाद, जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट से उनके मूल इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया था। तब से ही जस्टिस वर्मा से न्यायिक काम भी छीन लिया गया है।

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