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कर्मचारी संघों की संपत्तियों पर मध्य प्रदेश सरकार की नजर, नहीं चलेगा व्यापारMadhya Pradesh government eyes properties of employee unions, business will not run

 अब सरकारी संपत्तियों का इस्तेमाल निजी व्यक्ति या संगठन द्वारा इससे आय अर्जित करने के लिए नहीं किया जाएगा. मध्य प्रदेश सरकार अब ऐसी संपत्तियों को लेकर सक्रिय हो गई है. सबसे पहले कर्मचारी यूनियन या संघों को दी गई संपत्तियों की पड़ताल की जा रही है. इनमें कई संपत्तियां ऐसी हैं, जहां व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है. साथ ही यह पैसा शासन के खजाने में ना जाकर कर्मचारी नेताओं के उपयोग में आ रहा है. ऐसे में सरकार ने अब ऐसी संपत्तियों की खोजबीन शुरू कर दी है.


संपत्तियों से होने वाली आमदनी की जानकारी

सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों से उनके जिले में कर्मचारी संगठनों को दी गई संपत्तियों की जानकारी मांगी है. इनके पास सरकारी तौर पर दी गई क्या-क्या जमीन या आवास है, उसमें कितना व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है. जिससे इनकी संपत्तियों की जानकारी सरकार के पास उपलब्ध रहे. वहीं यदि इन संपत्तियों का व्यवसायिक उपयोग हो रहा है, तो इससे होने वाली आमदनी का हिसाब-किताब भी सरकार रखेगी.

इस संगठनों के पास बड़े पैमाने पर संपत्तियां

मध्य प्रदेश के सबसे प्रभावी मध्य प्रदेश ततीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ एवं लिपिक वर्ग से लेकर कर्मचारी कांग्रेस और शिक्षक संघ के पास बड़े पैमाने पर सरकार द्वारा दी गई संपत्तियां हैं. इन्हें यू तो संगठन कार्यालय संचालित करने के लिए जमीन या सरकारी आवास उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन वहां संगठन कार्यालय के अलावा बड़े पैमाने पर व्यावसायिक गतिविधियां हो रही है. ज्यादातर में दुकानें बनाकर उन्हें किराये पर दिया गया है. इन्हें कर्मचारी संघ नेताओं के रिश्तेदार या फिर नजदीकी लोग किराये पर चला रहे हैं.जिलों में हो रहा व्यवसायिक उपयोग

लंबे समय से विवादित मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ में तो छिंदवाड़ा, बैतूल, हरदा, भिंड, मुरैना सहित अनेक क्षेत्रों में कार्यालय के साथ-साथ दुकानों का संचालन हो रहा है. मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ के प्रदेश स्तरीय कार्यालय में दुकानों का संचालन हो रहा है. मध्य प्रदेश शिक्षक संघ के पुष्पा नगर स्थित बड़ा बहु मंजिला कार्यालय भवन है. पहले इसी में नीचे कार्यालय संचालित होता था.

जबकि दूसरी मंजिल पर लोग किराये से रहते थे. अब बताया जा रहा है कि दूसरे लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया है. लिपिक वर्ग में भी बड़े पैमाने पर संपत्तियां हैं तो शिक्षक कांग्रेस कर्मचारी कांग्रेस सहित अन्य संगठनों के कार्यालय भी कई जिलों में व्यावसायिक उपयोग में हैं.

कर्मचारी संगठनों से भी मांगी जाएगी जानकारी

अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एमपी द्विवेदी ने बताया कि "कर्मचारी संगठनों को दी जाने वाली जमीन या अवास समेत अन्य सभी जानकारी कलेक्टरों के पास रहती है. इसमें क्या-क्या अलोट किया गया है और कहां-कहां व्यवसायिक इस्तेमाल हो रहा है, यह कलेक्टर को भी पता रहता है, क्योंकि किसी भी सरकारी कार्यालय में जब कोई व्यवसायिक उपयोग करते हैं, तो इससे पहले कलेक्टर से अनुमति लेनी पड़ती है. संभावना जताई जा रही है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जल्द ही पत्र लिखने जा रहा है. जिसमें कर्मचारी संगठनों से सरकार द्वारा दी गई संपत्तियों की बिंदुवार जानकारी मांगी जाएगी.

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