किडनी 24 घंटे शरीर की गंदगी बाहर निकालती रहती है। शरीर में फ्लूइड बैलेंस करती है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है। लाइफस्टाइल में खराबी, शुगर, जेनेटिक्स आदि की वजह से गुर्दे की बीमारी बन जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बीमारियों को ठीक करने वाली कुछ दवाएं भी किडनी को खराब कर सकती हैं।
लैंसेट की एक स्टडी के मुताबिक भारत में 2023 तक करीब 138 मिलियन लोगों को क्रॉनिक किडनी डिजीज होने का अनुमान है। जो कि पिछले सालों के मुकाबले काफी ज्यादा है और वयस्कों में इसका प्रसार भी बढ़ा है। किडनी की बीमारी काफी गंभीर है जो कि एक वक्त के बाद जानलेवा भी साबित हो सकती है।आपको जानकर हैरानी होगी कि गुर्दों की बीमारी का एक प्रमुख कारण दवाओं का गलत इस्तेमाल है। जानकारी बढ़ने की वजह से लोग खुद दवाओं का सेवन कर लेते हैं। गलत और लंबे वक्त तक ऐसा सेवन करने से किडनी पर दबाव बढ़ने लगता है और एक दिन उसमें खराबी आ जाती है। इस आर्टिकल में दवाओं के ऐसे प्रकार बताए हैं, जो किडनी पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। इनसे बचने के लिए हमेशा डॉक्टर के कहे अनुसार ही दवाओं की डोज और वक्त रखें।
नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लामेटरी ड्रग्स
किडनी खराब करने वाली यह सबसे आम दवा है और इसे खुद से खाने की गलती अधिकतर लोग कर रहे हैं। दर्द से राहत दिलाने वाली दवाओं को नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लामेटरी ड्रग्स कहा जाता है। NIH के मुताबिक यह दर्द कम करने के साथ प्रोस्टाग्लैंडिन मॉलेक्यूल का उत्पादन भी बंद कर देती हैं। जो कि किडनी के अंदर मौजूद रक्त वाहिकाओं को रिलैक्स रखता है। लंबे समय तक इसे इस्तेमाल करने से किडनी इंजरी हो सकती है।
एमिनोग्लाइकोसाइड एंटीबायोटिक्स
एमिनोग्लाइकोसाइड एंटीबायोटिक्स दवाएं गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन को ठीक करने के लिए इस्तेमाल होते हैं। लंबे समय तक और इनका गलत इस्तेमाल किडनी की प्रोक्सिमल ट्यूब्यूल सेल्स को डैमेज करने वाले फ्री रेडिकल्स बना सकता है। दवा बंद करने के बाद यह इंफेक्शन ठीक होने लगता है, लेकिन यह पूरी तरह नहीं जाता।
वैनकोमाइसिन और अन्य ग्लाइकोपेप्टाइड्स
ये ताकतवर एंटीबायोटिक दवाएं हैं, जो रेजिस्टेंट बैक्टीरियल इंफेक्शन को ठीक करने में मदद करती है। लेकिन इसकी हाई डोज की वजह से किडनी टॉक्सिसिटी का खतरा भी देखा जाता है। अन्य नेफ्रोटॉक्सिन के साथ इसका खतरा और बढ़ जाता है।
रेडियोकॉन्ट्रास्ट एजेंट
सीटी स्कैन, एंजियोग्राफी जैसे टेस्ट करने के लिए एक कॉन्ट्रास्ट डाई दी जाती है। इसकी वजह से कई बार कॉन्ट्रास्ट इंड्यूस्ड नेफ्रोपैथी हो सकती है। क्योंकि ये एजेंट किडनी ब्लड फ्लो को रोक देते हैं और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ा सकते हैं। उन लोगों के लिए यह ज्यादा नुकसानदायक है, जिन्हें पहले से किडनी की बीमारी है।
किडनी हेमोडायनामिक्स पर असर करने वाली दवाएं
एसीई इंहिबिटर्स और एआरबी दवाएं हाइपरटेंशन, हार्ट फेलियर, किडनी डिजीज के लिए दी जाती हैं। लेकिन कुछ परिस्थितियों में इनकी वजह से किडनी फंक्शन गिर सकता है। यह कई बार किडनी के ब्लड फिल्टर को प्रभावित करती हैं।

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