क्षेत्र में मतांतरण से बढ़ती असंतुष्टि के बीच ग्राम कोडेकुर्से में रविवार को एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसमें आसपास के 30 गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। बैठक में मतांतरण रोकने के लिए एक संयुक्त सामाजिक पहल के रूप में मूल संस्कृति बचाव समिति का गठन किया गया।
कार्यक्रम के दौरान सुरुंगदोह और साधुमीचगांव के 4 परिवारों के कुल 21 सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से अपने मूल धर्म में वापसी की घोषणा की। परंपरागत रीति-रिवाजों के अनुसार गायता, पटेल, समाज प्रमुखों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पूजा-अर्चना, पीला चावल (अक्षत) और पगड़ी बांधकर इन परिवारों का स्वागत किया गया। स्थानीय समाज ने इसे क्षेत्रीय संस्कृति और सामाजिक एकता के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।ग्रामीणों के अनुसार क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों से मतांतरण के मामलों में वृद्धि ने समाज में असंतोष का वातावरण उत्पन्न कर दिया था। कई गांवों में परंपरागत मान्यताओं से दूर जाने की प्रवृत्ति को लेकर चिंता जताई जा रही थी। इसी कारण गांवों के लोगों ने आपसी सहमति बनाकर धर्म और संस्कृति की पहचान बनाए रखने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है।

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