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जीपी मेहरा-नायक पर सरकार की नरमी, सात शिकायतें दो साल से फाइलों में दबी, लोकायुक्त छापे के बाद कई खुलासे The government has been lenient towards GP Mehra-Nayak, seven complaints have languished in files for two years, and a Lokayukta raid has revealed many things.


लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सेवानिवृत्त  प्रमुख अभियंता प्रमुख गोविंद प्रसाद (जीपी) मेहरा और उनके करीबी अधिकारी राजेश नायक पर भ्रष्टाचार की एक नहीं बल्कि आठ गंभीर शिकायतें होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इनमें से सात शिकायतें 2023 से शासन स्तर पर लंबित हैं, जबकि एक शिकायत आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में जांच के अधीन है।मेहरा के खिलाफ लोकायुक्त छापेमारी के बाद कई नए खुलासे हो रहे हैं।   लोकायुक्त ने मेहरा की संपत्ति और खर्चों की जांच तेज कर दी है, वहीं विभागीय स्तर पर मेहरा और उनके सहयोगी राजेश नायक के खिलाफ वर्षों से चल रही शिकायतें अब भी शासन की फाइलों में पड़ी हुई हैं। जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 में ईओडब्ल्यू ने मेहरा और नायक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 के तहत केस दर्ज करने के लिए शासन से अनुमति मांगी थी।



 इसके साथ ही, ईओडब्ल्यू ने शासन को पत्र लिखकर स्पष्ट किया था कि या तो इन पर विभागीय कार्रवाई की जाए या फिर प्रकरण दर्ज करने की अनुमति दी जाए। लेकिन न शासन ने अनुमति दी और न ही कोई कार्रवाई की गई। इसके उलट, शासन ने गोविंद प्रसाद मेहरा को मध्यप्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन में संविदा पद पर नियुक्त कर दिया, जबकि उनके सहयोगी राजेश नायक को मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (आरडीसी) में पुनः प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ कर दिया गया।

शिकायतों पर पहले हटाया, फिर पदस्थ कर दिया बता दें, राजेश नायक को इससे पहले गंभीर शिकायतों के कारण आरडीसी से हटाया गया था, लेकिन अगस्त 2024 में उन्हें फिर से उसी विभाग में पदस्थ कर दिया गया। लोकायुक्त की कार्रवाई के बावजूद दोनों अधिकारी फिलहाल अपने पदों पर बने हुए हैं।

लोकायुक्त जांच में नया मोड़ लोकायुक्त संगठन अब मेहरा परिवार की संपत्ति, खर्च और आय के स्रोतों की गहन जांच कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, जांच में उनकी वार्षिक आय और वास्तविक खर्च के बीच बड़ा अंतर मिला हैं। फिलहाल बैंक खातों, संपत्ति निवेश और पारिवारिक आय के दस्तावेजों का मिलान जारी है।

फाइल देखकर ही बता पाऊंगा पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह ने कहा कि अब वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद किसी जांच के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होती। उस समय क्या कार्रवाई की गई यह देख कर ही बता पाऊंगा।

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