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साइबर अपराधियों के मददगार बैंक कर्मियों पर पुलिस का शिकंजा, एक्सिस बैंक के प्रबंधक पर दर्ज हुआ केस Police crack down on bank employees aiding cybercriminals, case filed against Axis Bank manager



सफेदपोश बैंक मैनेजर अब केवल एसी केबिन में नहीं बैठेंगे, बल्कि लापरवाही बरतने पर उन्हें हवालात की हवा भी खानी पड़ सकती है। साइबर अपराध की कमर तोड़ने के लिए जनपद पुलिस ने अब अपनी सर्जिकल स्ट्राइक की दिशा बदल दी है।अब तक पुलिस की दौड़ केवल ठगों तक सीमित थी, लेकिन अब उन बैंक अधिकारियों की भी खैर नहीं, जो चंद रुपयों के कमीशन के लिए या आंखें मूंदकर साइबर अपराधियों को म्यूल अकाउंट का हथियार मुहैया कराते हैं। जिस बैंक पर आप अपनी गाढ़ी कमाई सुरक्षित रखने का भरोसा करते हैं, अगर वहीं का मैनेजर साइबर ठगों का मददगार बन जाए, तो आम आदमी कहां जाए। लेकिन अब पुलिस ने साफ कर दिया है कि ठगी के खेल में बैंक की वर्दी पहने इन मददगारों पर भी अब सीधे एफआईआर दर्ज होगी।

जनपद के 355 म्यूल खाते साइबर पुलिस की निगरानी में हैं। जांच एजेंसियों ने पाया है कि साइबर अपराधी ठगी की रकम को इधर-उधर करने के लिए बड़ी संख्या में फर्जी या किराए के खातों का इस्तेमाल करते हैं। हैरानी की बात यह है कि जनपद के कई साइबर फ्राड के मामलों में बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है।

कुछ बैंक कर्मी कमीशन के लालच में बिना उचित सत्यापन के खाते खोल देते हैं या फिर संदिग्ध ट्रांजेक्शन को देखकर भी अनदेखा कर देते हैं। हाल ही में लालगंज पुलिस ने एक्सिस बैंक के शाखा प्रबंधक पर साइबर फ्राड का केस दर्ज किया है। लालगंज, कोतवाली व सोनहा थाना क्षेत्र के कई प्रमुख बैंकों में म्यूल खाते जांच में सामने आए हैं। पुलिस टीम इस दिशा में लगातार काम कर रही है।म्यूल अकाउंट:वह बैंक खाता होता है जिसका उपयोग अवैध धन को वैध बनाने या एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए किया जाता है। अक्सर साइबर ठग किसी आम आदमी का खाता किराए पर लेते हैं या धोखे से खुलवाते हैं। ठगी का पैसा इसमें आता है और तुरंत दूसरे खातों में भेज दिया जाता है, ताकि पुलिस मुख्य अपराधी तक न पहुंच सके।

विदेश से रेस्क्यू करके वापस लाए गए पांच साइबर स्लेवरीविदेश में फंसे साइबर स्लेवरी के शिकार युवकों को रेस्क्यू कर जनपद में सुरक्षित लाया गया है। विदेश में जबरन डिजिटल और साइबर फ्राड कराने के जाल जिसे साइबर स्लेवरी या कामकाजी तस्करी कहा जाता है। सरकार और पुलिस प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से सफलतापूर्वक रेस्क्यू कर वापस लाया गया है। यह सभी बेहतर वेतन वाली डेटा एंट्री व आईटी सपोर्ट की नौकरी के झांसे में आकर फंस गए थे।

इसमें रुधौली क्षेत्र के परसापुरानी निवासी सूरज पांडेय,लालगंज के सुकरौली निवासी रामप्रीत यादव, परसरामपुर के रानीपुर बेरता निवासी सुगंध विश्वकर्मा व सोनहा क्षेत्र के इब्राहिम चक शेखपुर निवासी दिलीप कुमार व हसनपुर गांव निवासी मैजूद्दीन शामिल हैं।

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