सत्य से साक्षात्कार
✒️संजय त्रिपाठी
भारतीय जनता पार्टी की नगर इकाई की घोषणा के बाद कुछ लोगों ने भाजपा कार्यालय के सामने नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा का पुतला जलाया, इन्हीं में से एक व्यक्ति ने भाजपा नगर अध्यक्ष की नाम की पट्टिका पर कालिख पौत दी---
कालिख पोतने वाले, पुतला जलाने वाले, जीतू जिराती के कट्टर समर्थक माने जाते हैं , बाद में मीडिया को फोन गया, जीतू जिराती के समर्थकों नहीं - खाती समाज ने विरोध किया है, यह न्यूज़ में चलाओ,*
*यह बात और है कि कालिख पोतने वाला खाती समाज से नहीं है,, जिराती समर्थकऔर निलेश चौधरी का पार्टनर मिलाप मिश्रा है, खाती समाज से नहीं है।
उस छोटे से समूह मे भेजे गए लोगों में व्यक्तिगत कुंठा अधिक थी।
भारतीय जनता पार्टी के दो मंडल अध्यक्ष खाती समाज से हैं, एक मंडल महामंत्री खाती समाज से है, दो पार्षद खाती समाज से हैं, खुद निलेश चौधरी जिसे भाजपा ने युवा मोर्चा में पद दिया, अन्नपूर्णा, राजेंद्र नगर क्षेत्र से कई योग्य कार्यकर्ताओं का टिकट काटकर जिसकी पत्नी को पार्षद का टिकट जिराती ने दिलवाया--
खाती समाज से जीतू जिराती तीन बार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे, जब वह युवा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष बने तब मनोज पटेल भी प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार थे, तब क्या उपेक्षा के नाम पर धाकड़ समाज ने भाजपा कार्यालय आकर कालिख नहीं पोती---
भारतीय जनता पार्टी के राऊ विधानसभा से सबसे पुराने कार्यकर्ताओं मे से मधु वर्मा जो उस दौरान आईडीए अध्यक्ष थे, जब जीतू जिराती को विधायक का टिकट मिला, तब मधु वर्मा के समर्थकों ने कालिख नहीं पोती... क्योंकि वह सब परंपरागत भाजपाई थे, उन में कांग्रेस का यह कल्चर नहीं आया था,,,,
भाजपा में एक बड़े वर्ग का मानना है, दरअसल जीतू जीराती ने जिस ढंग से राजनीति में उड़ान भरी थी, उनकी महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप पूर्ण नहीं हो सकी,, उन्हें सांसद, राज्यसभा, महापौर का टिकट नहीं मिल सका, ना ही पुनः राऊ से विधायक का, इस बार उनसे कई अधिक जूनियर गौरव रणदिवे प्रदेश भाजपा के प्रदेश महामंत्री बन गए, जीतू जिराती खाली हाथ रहे, वर्तमान स्थिति में ida का आइडिया मनोनीत होना भी आसान नहीं है, कही यही फ्रस्ट्रेशन तो नहीं निकाला गया,, क्योंकि इन बहादुरों में प्रदेश कार्यालय पर जाकर कालिख पोतने का साहस जुटाना आसान नहीं था ?
नगर के प्रमुख 26 पदों में कोई भी अध्यक्ष मनचाहा प्रतिनिधित्व नहीं दे सकता है, भाजपा में यह बात सभी जानते हैं,,, खुद अध्यक्ष से सालों से जुड़े कार्यकर्ताओं को जगह नहीं मिल पाती है।
जीतू जिराती सालों तक संगठन के पद पर रहते हुए कार्यकर्ताओं को दीनदयाल उपाध्याय के सुचिता के संदेश देते थे, और सरेआम उनके समर्थक कांग्रेसियों की तर्ज पर कालिख पोत रहे हैं,यह भाजपा की संस्कृति तो बिल्कुल नहीं है,,, विशुद्ध कांग्रेसी की कल्चर है,,
जब भाजपा प्रदेश संगठन को घटनाक्रम की संपूर्ण जानकारी लगी, विभिन्न स्तरों पर छानबीन हुई तभी से संगठन ने कड़ी कार्रवाई करने के संकेत मिले,, मीडिया का सवाल पूछने पर खुद नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने आग्रह किया, विषय को यहीं समाप्त कर देना चाहिए, कड़ी कार्रवाई, और fir नही,,,,,,

Post a Comment