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राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद ने क्या कहा, निशाने पर उमर अब्दुल्ला? Cross-voting in Rajya Sabha elections: What did National Conference MP say, Omar Abdullah in the crosshairs?

 नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सांसद रूहुल्लाह मेहदी ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से राज्यसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ वोट देने वाले विधायकों के नाम बताने को कहा. सांसद रूहुल्लाह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि किसने किसे वोट दिया या किसने क्रॉस-वोटिंग की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी है. यह जरूरी है कि एक विधायक अपने वोट के साथ क्या करता है, यह सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इससे पहले, सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लगभग उन सभी विधायकों के नाम जानते हैं जिन्होंने हमें धोखा दिया और बीजेपी को वोट दिया है. उन्होंने कहा कि इन विधायकों में खुलकर यह कहने का साहस होना चाहिए कि उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश की चार राज्यसभा सीटों में से एक पर बीजेपी की जीत में मदद की.

ये कोई निजी मामला नहीं है

सांसद मेहदी ने कहा कि मुख्यमंत्री को नाम लेने चाहिए क्योंकि यह निजी मामला नहीं, बल्कि सार्वजनिक मामला है. सांसद ने कहा कि जैसा कि मुख्यमंत्री ने कहा, अगर किसी को (क्रॉस-वोटिंग करने वाले विधायकों के नाम) पता है, तो यह कोई निजी मामला नहीं है कि वह नाम न लें. अगर जनता के विश्वास और जनादेश के साथ विश्वासघात हुआ है और जनप्रतिनिधियों ने गलत शक्तियों के पक्ष में मतदान किया है इसलिए मुख्यमंत्री को उनका नाम लेना चाहिए. मेहदी ने कहा कि तब तक सभी विधायक संदेह के घेरे में रहेंगे.

वोट मांगने का वादा क्यों किया था?

श्रीनगर के सांसद, जो पिछले कुछ समय से नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) से नाराज चल रहे हैं उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्तारूढ़ दल ने अभी तक राजनीतिक मोर्चे पर कोई काम नहीं किया है. सांसद मेहदी ने कहा कि अगर आपको लड़ना ही नहीं था, तो वोट मांगते समय इसका वादा क्यों किया था? अगर इतने मज़बूत जनादेश के बाद भी आप कमजोर महसूस कर रहे हैं, तो दूसरों को भी साथ लीजिए. हालांकि जनता ने आपको दूसरों पर निर्भर नहीं बनाया है. आपने वही करना शुरू कर दिया है जो विधानसभा चुनाव से पहले दूसरे करते थे.

जम्मू-कश्मीर के लोग नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस या भाजपा पर निर्भर नहीं हैं. वे अपने अस्तित्व की लड़ाई के लिए विकल्प तलाशेंगे. अगर किसी पार्टी को यह भ्रम है कि सब कुछ उसके इर्द-गिर्द घूमता है, तो ऐसा नहीं है. यह अस्तित्व की लड़ाई है. अगर उन्होंने जनादेश का सम्मान किया होता, तो आज कोई उनसे सवाल नहीं करता.

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