जापान इन दिनों तेजी से बढ़ रहे फ्लू संक्रमण की चपेट में है, देखते ही देखते यहां 4000 से अधिक लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराने की नौबत आ गई है। सरकार ने आधिकारिक तौर पर देशव्यापी फ्लू महामारी घोषित कर दी है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर के लगभग 3,000 अस्पतालों में कुल मिलाकर 4030 फ्लू मरीजों के भर्ती होने की सूचना मिली है। ओकिनावा, टोक्यो और कागोशिमा शहर सबसे ज्यादा प्रभावित बताए जा रहे हैं। यहां तेजी से बिगड़ते हालात के बीच संक्रमण की चेन को तोड़ने और के लिए 130 से ज्यादा स्कूल, किंडरगार्टन और चाइल्डकैअर सेंटर बंद कर दिए गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स पर नजर डालें तो साफ होता है कि जापान में इन दिनों हालात कमोबेश कुछ वैसे ही हैं जैसे कि कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में देखे जा रहे थे। जापान में फैल रही ये बीमारी कोई नई नहीं है, फ्लू हर साल फैलता रहता है हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल इसके मामले मौसम की अपेक्षा से पांच सप्ताह पहले ही देखे जाने लगे हैं, जिसने स्वास्थ्य सेवाओं पर न सिर्फ अतिरिक्त दवाब बढ़ा दिया है साथ ही सेहत को लेकर कई चुनौतियां भी देखी जा रही हैं।
22 सितंबर से 28 सितंबर के बीच जापान में 4,000 से अधिक लोगों का इन्फ्लूएंजा का इलाज किया गया। 29 सितंबर से 5 अक्तूबर तक इन्फ्लूएंजा के इलाज वाले रोगियों की संख्या बढ़कर 6,000 से अधिक हो गई है। जापान के 47 प्रान्तों में से 28 में फ्लू के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई। स्वास्थ्य विशेषज्ञ इन मामलों को एशियाई देशों के लिए भी चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं।
जापान में बिगड़ रहे हैं हालातस्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जापान में हर साल फ्लू का खतरा देखा जाता रहा है। हालांकि इस बार फ्लू के मामले करीब पांच सप्ताह पहले से बढ़ने लगे हैं जिसके चलते हालात इतने बिगड़े हैं। हाल के दिनों में जिस तरह से स्थिति बिगड़ी है इसके चलते कई जगहों पर स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है, अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है और हेल्थ सिस्टम पर दबाव बढ़ने लगा है।जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 3 अक्तूबर तक इन्फ्लूएंजा के कारण 4,000 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हो चुके थे, एक हफ्ते में ही मामले चार गुना ज्यादा हो गए। देशभर में कम से कम 135 स्कूल और चाइल्डकैअर सेंटर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, ताकि बीमारी के प्रसार को कंट्रोल किया जा सके।क्या कहते हैं विशेषज्ञ?स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल फ्लू की लहर न केवल जल्दी आई है, बल्कि असामान्य रूप से आक्रामक भी है। होक्काइडो के स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की प्रोफेसर योको त्सुकामोटो के हवाले से कहा गया, बदलते वैश्विक परिवेश में यह एक आम स्थिति बन सकती है। लोगों को व्यावहारिक सावधानियां बरतनी चाहिए, टीका लगवाना चाहिए, नियमित रूप से हाथ धोने चाहिए और संक्रमण से बचाव के उपाय करने चाहिए।"त्सुकामोटो ने चेतावनी दी कि वैश्विक यात्राएं वायरस के प्रसार को बढ़ाने वाली हो सकती हैं। जापान में शुरुआती उछाल दुनिया के अन्य हिस्सों में उभर रहे पैटर्न को दर्शाता है, जिससे संकेत मिलता है कि इन्फ्लूएंजा के नए वैरिएंट्स अब ज्यादा प्रभावी ढंग से फैल रहे हैं और इसके लिए अब तक किए जाने उपाय भी ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं।
बचाव और वैक्सीनेशन की सलाहस्वास्थ्य अधिकारी और वैज्ञानिक फ्लू संक्रमण में देखी गई इस वृद्धि के पीछे कई कारकों का संकेत देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद के दौर में बड़े पैमाने पर पर्यटन बढ़ा है जिसने सीमाओं के पार लोगों और उनके माध्यम से वायरस की आवाजाही को तेज कर दिया है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ लोगों के लिए, फ्लू ज्यादा खतरनाक नहीं होना चाहिए, हालांकि नए वैरिएंट्स के कारण इन्हें भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। छोटे बच्चों, बुज़ुर्गों और किसी भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को फ्लू का टीका लगवाने की सलाह दी गई है ताकि हम बड़ी आबादी को इस प्रकोप से बचाए रख सकें।
भारत में भी फ्लू का देखा गया प्रकोपगौरतलब है कि हाल के वर्षों में सामान्य इंफ्लूएंजा वायरस में कुछ नए म्यूटेशन नोटिस किए गए हैं, जिसके कारण अब फ्लू के कारण लोगों को पहले की तुलना में गंभीर जटिलताएं हो रही हैं।भारत में भी म्यूटेटेड फ्लू का प्रकोप देखा गया है। राजधानी दिल्ली-एनसीआर में अगस्त-सितंबर में H3N2 वायरस के संक्रमण का प्रकोप देखा गया था। ये वायरस कितनी तेजी से बढ़ा इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि सर्वेक्षण में पाया गया कि दिल्ली-एनसीआर के लगभग 70% घरों में एक या उससे अधिक लोग फ्लू/वायरल बुखार के लक्षणों का अनुभव कर रहे थे। H3N2 वायरस भी फ्लू वायरस का ही एक रूप है जिसका असर अब भी दिल्ली में देखा जा रहा है।

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