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नारायण नारायण प्रभु Narayan Narayan Prabhu

 मध्य प्रदेश पुलिस परिवार में इन दिनों एक प्रमोटी आईपीएस अधिकारी का वसूली अभियान चर्चा का विषय बना हुआ है। अगले वर्ष रिटायर होने जा रहे यह प्रमोटी आईपीएस अधिकारी मध्य प्रदेश के एक बड़े और अहम जिले में पदस्थ हैं। उनके अधीन जिले की यातायात व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने की जिम्मेदारी है।


सुनने में आ रहा है कि जैसे-जैसे उनके रिटायरमेंट के दिन करीब आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे उनका वसूली अभियान भी तेज होता जा रहा है। उनके इस अभियान से जहां उनके कुछ मातहत अधिकारी नाखुश हैं, वहीं कुछ अधिकारी इस बहती गंगा में खुद भी जमकर हाथ धो रहे हैं। इन आईपीएस अफसर के बारे में चर्चा यह भी सुनाई दे रही है कि उन्होंने अपने अभियान को  कामयाब बनाने के लिए अपने माथे पर अधिकारी को वसूली का टारगेट तक दे रखा है, सुनने में तो यह भी आ रहा है प्रभु कि इस वसूली अभियान से उन्हें हर माह लगभग साढ़े पांच लाख रुपये की आमदनी हो रही है। प्रभु, आपको याद होगा, यह वही प्रमोटी आईपीएस अधिकारी हैं जो पूर्व में भी जमीनों की खरीद-फरोख्त को लेकर काफी चर्चाओं में रहे हैं।

कमीशनखोर महिला आईएएस

चलिए प्रभु, अब आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं मध्य प्रदेश की एक कमीशनखोर महिला आईएएस अधिकारी की। मंत्रालय के गलियारों में इस महिला आईएएस की कमीशनखोरी की चर्चा हर जुबान पर है।

दरअसल प्रभु, सुनने में आ रहा है कि यह महिला आईएएस अधिकारी स्वभाव और व्यवहार से जितनी सीधी दिखती हैं, उतनी हैं नहीं। वर्तमान में वह जिस संचालनालय की आयुक्त हैं, वहां लगभग दस हजार पैनल बोर्ड की खरीदारी होनी है। इसके लिए बाकायदा निविदा भी जारी की गई।

टेंडर प्रक्रिया में जो कंपनी तीसरे नंबर पर आई थी, उसे तीसरे नंबर का टेंडर मिलना चाहिए था, लेकिन मामूली कमी बताकर उसे टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। अब चौथे नंबर पर आने वाली कंपनी को टेंडर देने की तैयारी की जा रही है।

प्रभु, सुनने में आया है कि इस घपलेबाजी के पीछे इस महिला आयुक्त को उनका मनचाहा कमीशन न मिलना ही मुख्य कारण है। अब इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो प्रभु आपसे बेहतर कोई नहीं जानता, लेकिन इस महिला आईएएस की कमीशनखोरी की चर्चा तो शुरू हो चुकी है।

दलाल का पत्ता कटा

सत्ता के गलियारों में जिस दलाल का नाम पिछले कुछ समय से तेजी से सुनाई दे रहा था, अचानक उसका नाम सुनाई देना बंद हो गया है प्रभु।

जब नारदमुनि ने इसकी पड़ताल शुरू की तो पता चला कि नौकरशाहों के लिए दलाली करने वाले इस दलाल ने सरकार के सबसे भरोसेमंद खजांची के साथ ही फरेब कर करोड़ों रुपये का गड़बड़झाला कर दिया। जैसे ही इस गड़बड़झाले की भनक सरकार के भरोसेमंद खजांची को लगी, उसने इस दलाल को अपनी टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पहले इस टीम में चार सदस्य थे, अब केवल तीन ही बचे हैं। इस टीम की ज्यादातर बैठकें राजधानी भोपाल की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट बिल्डिंग में हुआ करती थीं, लेकिन अब इन बैठकों में वह दलाल नजर नहीं आ रहा है।

तो प्रभु, यह थी अब तक की सुनी-सुनाई खास चर्चाएं।

अब अनुमति दीजिए…

शीघ्र उपस्थित होऊंगा नई चर्चाओं के साथ।

नारायण नारायण 🙏

🙏🏻*जुबेर कुरैशी*

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