Top News

ISRO का अंतरिक्ष में डंका, 15 दिसंबर को बाहुबली रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा सबसे भारी अमेरिकी कम्युनिकेशन सैटेलाइटISRO makes its mark in space; the heaviest American communication satellite will be launched on December 15 using the powerful GSLV Mk III rocket.

 दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( इसरो ) 15 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से अपना सबसे भारी अमेरिकी कॉमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट , 6.5 टन वजनी ब्लू-बर्ड-6 लॉन्च करेगा। यह लॉन्चिंग से भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इसरो का 'बाहुबली' रॉकेट LVM3 इस अमेरिकी उपग्रह को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा।


टेक्सास की कंपनी एएसटी स्पेस मोबाइल ने यह उपग्रह बनाया है। यह कंपनी अंतरिक्ष-आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड नेटवर्क विकसित कर रही है। एएसटी स्पेस मोबाइल ने बयान जारी कर कहा है कि, 'ब्लू-बर्ड-6, एक अमेरिकी लाइसेंस वाला उपग्रह है, जिसे 15 दिसंबर को लॉन्च किया जाएगा।

10 गुना अधिक डाटा कैपेसिटी क्षमता

यह एएसटी स्पेस मोबाइल के अगली पीढ़ी के उपग्रहों में पहला है। लॉन्च होने पर, इसमें लगभग 2,400 वर्ग फुट का लो अर्थ ऑर्बिट में सबसे बड़ा वाणिज्यिक फेज्ड ऐरे होगा। यह ब्लू-बर्ड्स 1-5 की तुलना में आकार में 3.5 गुना बड़ा है और दस गुना अधिक डेटा कैपेसिटी रखता है।

ब्लू-बर्ड-6 एक ब्लॉक-2 उपग्रह है। एएसटी स्पेस मोबाइल की योजना ऐसे कई उपग्रहों को लॉन्च करके लगातार सेवा प्रदान करने की है। 2026 तक और उपग्रह लॉन्च करने की योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य उन जगहों पर तेज, निर्बाध डायरेक्ट-टू-डिवाइस मोबाइल ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करके डिजिटल डिवाइड को पाटना है जहां मोबाइल नेटवर्क कवरेज खराब है या बिल्कुल नहीं है।10 हजार मेगा हर्ट्ज की क्षमता

ब्लू-बर्ड उपग्रहों को बहुत अधिक बैंडविड्थ देने के लिए डिजाइन किया गया है। हर उपग्रह 10,000 मेगाहर्ट्ज तक की क्षमता रखता है। ये मौजूदा मोबाइल नेटवर्क कंपनियों के साथ साझेदारी करके काम करते हैं। वे लाइसेंस प्राप्त स्पेक्ट्रम का उपयोग करके उनके नेटवर्क को बेहतर बनाते हैं।

ब्लू-बर्ड-6 उपग्रह 19 अक्टूबर को अमेरिका से भारत लाया गया था। इसके बाद इसे सड़क मार्ग से श्रीहरिकोटा ले जाया गया। वहां इसे LVM3 लॉन्चर के साथ जोड़ा गया, ईंधन भरा गया और लॉन्च से पहले अंतिम जांच की गई।

इस लॉन्च का काम न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) कर रही है, जो इसरो का वाणिज्यिक विंग है। LVM-3 ने हाल ही में 2 नवंबर को भारत के सबसे भारी CMS-3 उपग्रह को, जिसका वजन 4.4 टन था, कक्षा में स्थापित किया था। LVM3 एक तीन-चरण वाला लॉन्च वाहन है। यह लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में 8,000 किलोग्राम तक के पेलोड और जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में 4,000 किलोग्राम तक के पेलोड ले जा सकता है। इस रॉकेट का मानव-रेटेड संस्करण 2027 में गगनयान मिशन के तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा।

Post a Comment

Previous Post Next Post