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सुपर कॉरिडोर की चमक पर असर, IDA के 11 बड़े भूखंडों के लिए एक भी टेंडर नहीं मिला, डेवलपर्स–बिल्डरों ने दिखाई बेरुखीThe Super Corridor's luster has been tarnished, with no tenders received for 11 large IDA plots, and developers and builders showing disinterest.

 इंदौर। शहर और उज्जैन के विकास प्राधिकरणों ने बड़े जोर-शोर से जिन व्यावसायिक भूखंडों की मार्केटिंग की थी, वे सभी प्रयास अंततः फीके पड़ गए। होटल, हॉस्पिटल, स्कूल और आईटी बिल्डिंग जैसे प्रोजेक्ट्स के लिए सुपर कॉरिडोर पर मौजूद 11 विशाल भूखंडों के लिए जारी किए गए टेंडरों पर एक भी डेवलपर ने रुचि नहीं दिखाई। जबकि इन भूखंडों का आकार एक से दो लाख वर्गफीट के बीच था और इन्हें सुपर कॉरिडोर की योजना 151 और 169-बी के प्रमुख सेक्टर्स में विकसित किया जाना था। 

प्राधिकरण ने पिछले दिनों होटल मैरिएट में शहर के नामचीन बिल्डरों, कालोनाइजरों और निवेशकों के सामने इन भूखंडों की विस्तृत जानकारी रखी। इस आयोजन में पर्यटन विभाग के उपसचिव भी मौजूद थे। इससे पहले उज्जैन विकास प्राधिकरण ने भी 22 भूखंडों का संयुक्त प्रमोशन किया था। दोनों प्राधिकरणों ने मिलकर सुपर कॉरिडोर को इंदौर के भविष्य के ग्रोथ हब के रूप में प्रस्तुत किया और बताया कि यहां होटल, अस्पताल, आईटी, शिक्षा से जुड़ी बड़ी गतिविधियां विकसित हो सकती हैं। लेकिन बाजार की सुस्ती और रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश की कमी के चलते किसी भी डेवलपर ने इन भूखंडों के लिए टेंडर नहीं डाला।

रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि अभी बाजार में उत्साह उतना नहीं है कि इतने बड़े भूखंडों में भारी निवेश किया जाए। सुपर कॉरिडोर पर इस समय अपेक्षित हलचल भी नहीं दिखाई देती, जबकि भविष्य में मेट्रो के शुरू होने पर यहां गतिविधियां बढ़ने की संभावना है। प्राधिकरण स्वयं यहां स्टार्टअप पार्क और कन्वेंशन सेंटर जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट विकसित कर रहा है, लेकिन निजी डेवलपर्स अभी सतर्क निवेश नीति अपनाए हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि जहां सुपर कॉरिडोर के 11 भूखंडों के लिए एक भी टेंडर नहीं मिला, वहीं इसी दौरान योजना 140 के 60 हजार वर्गफीट के एक बड़े भूखंड के लिए 130 करोड़ रुपए से अधिक का प्रस्ताव आया, जिसे बोर्ड ने मंजूर भी कर दिया। यह वही भूखंड है जिसका पिछला सिंगल टेंडर तत्कालीन कलेक्टर द्वारा निरस्त कर दिया गया था। मगर तीसरी बार टेंडर बुलाने पर फिर से वही कंपनी—राजश्री पावर एंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड—ने सिंगल प्रस्ताव दिया और प्रक्रिया के अनुसार प्राधिकरण को इसे मंजूर करना पड़ा। 

हालांकि इस भूखंड में पिछले प्रस्ताव की तुलना में केवल 49 रुपए प्रति वर्गमीटर का मामूली फायदा हुआ। सुपर कॉरिडोर को लेकर प्राधिकरण हैरान है कि इतने बड़े प्रमोशन, पर्यटन विभाग के साथ संयुक्त मार्केटिंग और होटल–आईटी सेक्टर के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए भूखंडों के बावजूद बाजार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जमीनों पर मास्टर प्लान के तहत 19 तरह की गतिविधियों की अनुमति है, जिससे ये प्रोजेक्ट कई बड़े निवेशकों के लिए उपयुक्त थे। 

फिर भी बाजार की मंदी और भविष्य की अनिश्चितता के चलते डेवलपर्स ने निवेश को टालना ही बेहतर समझा। अब प्राधिकरण इस बात का इंतजार कर रहा है कि आने वाले समय में जब मेट्रो संचालन शुरू होगा और सुपर कॉरिडोर पर निजी बिल्डरों की टाउनशिप्स व अन्य प्रोजेक्ट सक्रिय होंगे, तब शायद इन भूखंडों की मांग बढ़ेगी और बाजार फिर से सक्रिय हो सकेगा। अभी के हालात में इन 11 भूखंडों का खाली रह जाना विकास प्राधिकरण के लिए एक बड़ा संकेत है कि बाजार की गति को समझते हुए रणनीतियों में बदलाव करने का समय आ गया है।

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