कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में एक बड़े अंग्रेजी अखबार में छपे एक लेख में केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और दूसरे जरूरी कानूनों में अपने प्रस्तावित बदलावों के जरिए अधिकारों पर आधारित कानूनी ढांचे को खत्म कर रही है.
'मनरेगा को बुलडोजर से गिराना' टाइटल वाले आर्टिकल में सोनिया गांधी ने कहा कि ग्रामीण रोजगार स्कीम का कमजोर होना एक सामूहिक नैतिक नाकामी है. इससे देश भर के करोड़ों काम करने वाले लोगों पर लंबे समय तक वित्तीय और इंसानी नतीजे होंगे.
उन्होंने लिखा कि मनरेगा सिर्फ एक भलाई की पहल नहीं थी, बल्कि यह अधिकारों पर आधारित कार्यक्रम था जो गांव के परिवारों को रोजी-रोटी की सुरक्षा और इज्जत देता था. उनके मुताबिक इस स्कीम का खत्म होना 'सबकी नैतिक नाकामी' है. मनरेगा ने महात्मा के सर्वोदय (सभी का कल्याण) के सपने को पूरा किया और काम करने का संवैधानिक अधिकार दिया था.
इसकी मौत हमारी सामूहिक नैतिक नाकामी है. इसके आने वाले कई सालों तक भारत के करोड़ों मेहनतकश लोगों पर वित्तीय और इंसानी नतीजे होंगे. उन्होंने लिखा, 'अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी है कि हम एकजुट हों और उन अधिकारों की रक्षा करें जो हम सभी की रक्षा करते हैं.' सोनिया गांधी ने आगे दावा किया कि कई बुनियादी अधिकारों को सिस्टमैटिक तरीके से खत्म किया जा रहा है.
शिक्षा नीति पर चिंताओं को बताते हुए उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा के अधिकार को कमजोर किया है जिसने देश भर में लगभग एक लाख प्राइमरी स्कूलों को बंद करने को सही ठहराया है.'
उन्होंने पर्यावरण और जमीन के कानूनों में हुए बदलावों पर भी ध्यान दिलाया और कहा कि 'वन अधिकार अधिनियम, 2006 वन (संरक्षण) नियम, 2022 से काफी कमजोर हो गया. परिणामस्वरूप जमीन के डायवर्जन की इजाजत देने में ग्राम सभा की किसी भी भूमिका को हटा दिया था.'
सोनिया गांधी ने कहा, 'जमीन अधिग्रहण, पुनर्वास और फिर से बसाने में सही मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार कानून को काफी कमजोर कर दिया गया है और कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को पिछले कुछ सालों में 'कमजोर' कर दिया गया है.
खेती में सुधार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'तीन काले खेती कानूनों के जरिए सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अधिकार से वंचित करने की कोशिश की और चेतावनी दी कि नेशनल फ़ूड सिक्योरिटी एक्ट, 2013, अगली बार कट सकता है.

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