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महाराष्ट्र में बंधुआ बनाए गए 80 आदिवासी मजदूर छूटकर मध्य प्रदेश लौटे, सिंधिया का जताया आभार80 tribal laborers who were held in bondage in Maharashtra have been freed and returned to Madhya Pradesh, expressing their gratitude to Scindia.

 शिवपुरी : कोलारस के आदिवासी परिवारों के 80 से ज्यादा मजदूरों को महाराष्ट्र में कुछ लोगों ने बंधुआ बना लिया था. इन आदिवासियों को कुछ दलाल महाराष्ट्र ले गए और लगातार उनके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे थे, जिसके बाद किसी तरह से आदिवसी मजदूरों ने अपनी बात केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पहुंचाई थी. आखिरकार दलालों के चंगुल से निकलने के बाद सभी मजदूर वापस कोलारस के ग्राम पंचायत विजयपुरा पहुंचे और अपनी रिहाई के लिए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति आभार प्रकट किया.


काम के बहाने बनाया बंधुआ मजदूर

रामजी लाल आदिवासी ने कहा, '' हम लगभग 80 मजदूरों को पूरे परिवार के साथ ग्राम बछुरिया निवासी बंटी गुर्जरऔर कल्लू गुर्जर 1 दिसम्बर को इंदौर ले गया था. इसके बाद मजदूरी करवाने के बहाने सभी को महाराष्ट्र ले जाया गया. महाराष्ट्र में कुछ स्थानीय लोगों से मिलवाया गया और सोलापुर में एक गन्ने के खेत पर मजदूरी के लिए लगा दिया गया. वहां बंधुआ मजदूर बनाकर सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक जमकर मजदूरी करवाई जाती थी. इसके बाद लाठियों से मारा पीटा जाता था और पानी पीने या आराम करने पर लातें मारी जाती थीं, जिसके बाद हम लोगों ने वीडियो बनाकर कोलारस में विजयपुरा सरपंच को भेजे.''

सरपंच को मिला वीडियो, फिर सिंधिया तक पहुंची बात

आदिवासी मजदूरों द्वारा वीडियो मिलते ही विजयपुरा के सरपंच ने रन्नौद थाना प्रभारी अरविंद दांगी को मामले की शिकायत की. वहीं दूसरी ओर विधायक महेंद्र सिंह यादव के माध्यम से सूचना केंद्रीय मंत्री व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया तक भेजी गई. इस पर केंद्रीय मंत्री द्वारा तुरंत एक्शन लिया गया और 20 दिसम्बर को सभी बंधुआ मजदूर लौटकर वापस गांव आ गए. आदिवासी मजदूरों ने इसके बाद वीडियो बनाकर केंद्रीय मंत्री सहित सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया. इसके साथ ही मजदूरों ने केंद्रीय मंत्री सिंधिया को विजयपुरा आने का निमंत्रण भी दिया है.मामले को लेकर रन्नौद थाना प्रभारी अरविंद सिंह चौहान ने बताया, '' मुझे एक शिकायत विजयपुरा के मजदूरों को महाराष्ट्र में बंधुआ बनाए जाने के संबंध में मिली थी. उक्त शिकायत के बाद मैंने संंबंधित थाने पर संपर्क किया था. इसके अलावा ग्रामीण सांसद महोदय से भी मिले थे. उन्होंने प्रयास किए, जिसके बाद सभी मजदूर लौट कर वापस आ गए हैं. बताया गया कि आदिवासियों को बंधुआ मजदूर बनाकर उनसे मारपीट की जा रही थी और उन्हें पैसे भी नहीं दिए जा रहे थे.

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