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राजस्थान के नए मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास एक्शन में, जेजेएम घोटाला में 140 अफसरों को थमाई चार्जRajasthan's new Chief Secretary V. Srinivas takes action, charges 140 officers in JJM scam

 जयपुर: राजस्थान में हुए जल जीवन मिशन घोटाले में पहली बार सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। हजारों करोड़ रुपए के इस घोटाले में कई ठेकेदार और पूर्व मंत्री गिरफ्तार हो चुके हैं। पूर्व मंत्री महेश जोशी पिछले कई महीनों से जेल में बंद हैं। प्रदेश में नए मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास के आने के बाद उन्होंने इस घोटाले से जुड़ी फाइलों को खंगालने के निर्देश दिए। उन्होंने साफ कहा कि जल जीवन मिशन घोटाले में जो भी अधिकारी लिप्त रहे हैं या जिनकी कार्यप्रणाली संदिग्ध रही। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। मुख्य सचिव के निर्देश के बाद विभाग के अधिकारी हरकत में आए और 140 अधिकारियों कर्मचारियों को चार्जशीट थमाई।


पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई

राजस्थान में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक ही विभाग के 140 अधिकारियों कर्मचारियों को एक साथ चार्जशीट थमाई गई है। चार्जशीट देने के लिए जलदाय विभाग में बाकायदा दो दिन का शिविर लगाया गया। इन शिविरों में संदिग्ध अधिकारियों और कर्मचारियों को बुलाकर उन्हें चार्जशीट दी गई। जिन अधिकारियों कर्मचारियों को चार्जशीट दी गई। उनके मोबाइल फोन शिविर के दौरान स्विच ऑफ करा दिए गए ताकि वे किसी रसूखदार व्यक्ति की एप्रोच लगाने का प्रयास भी नहीं कर सके। जयपुर ग्रामीण, कोतपूतली-बहरोड़, दौसा, अलवर , नीमकाथाना और झुंझुनूं के एडिशनल चीफ इंजीनियर, अधीक्षण अभियंता और एक्सईएन स्तर के अधिकारियों को चार्जशीट दी गई।

बड़े अधिकारी भी शामिल

जिन्हें चार्जशीट दी गई। उनमें 15 एक्सईएन, 40 एईएन और 50 जेईएन शामिल हैं। 35 अन्य बड़े अधिकारी शामिल हैं। अधिकारियों को दी गई चार्जशीट की प्रति तुरंत कार्मिक विभाग के भेजने के निर्देश भी दिए गए ताकि उनके खिलाफ अग्रिम एक्शन लिया जा सके। चार्जशीट में सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से अहम सवालों के जवाब मांगे गए हैं। हालांकि पूर्व मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी दोषी और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट जारी करने के निर्देश दिए थे लेकिन 50 से ज्यादा चार्जशीट फाइल नहीं हो सकी। ऐसे में नए मुख्य सचिव ने तुरंत चार्जशीट थमाने और उसकी प्रति कार्मिक विभाग को भेज कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे।

करोड़ों रुपए का एडवांस भुगतान

जल जीवन मिशन के तहत अलग अलग कार्यों के लिए विभिन्न फर्मों को ठेके पर कार्य दिए गए थे। कई फर्मों को बिना काम किए ही एडवांस में करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया था। भुगतान किए जाने वाली फर्मों में कई ऐसी फर्में भी शामिल थी जो ब्लैक लिस्टेड थी। उन फर्मों ने कोई काम भी नहीं किया और कागजों में कार्य होना दर्शा दिया गया था।

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