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व्यापम पटवारी भर्ती में फर्जीवाड़ा का मामला, 10 आरोपियों को 5 साल की सजाIn the Vyapam Patwari recruitment scam case, 10 accused have been sentenced to 5 years in prison.

 जिला कोर्ट में सीबीआई न्यायालय ने पटवारी भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले 10 आरोपियों को 5 साल की सजा सुनाई है. आरोपी नकली दस्तावेजों के माध्यम से पटवारी भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे. 2008 की इस भर्ती परीक्षा का मामला काफी सुर्खियों में रहा, जिसमें 2012 में खरगोन में कार्रवाई हुई थी. इसके बाद सीबीआई ने विभिन्न तरह से जांच पड़ताल कर इस पूरे मामले को कोर्ट के समक्ष रखा था. आखिर में सीबीआई कोर्ट ने विभिन्न पक्षों को देखते हुए ही आरोपियों को सख्त सजा से दंडित किया है.


क्या है व्यापमं पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाला?

सीबीआई कोर्ट में बताया गया कि आरोपी रमेश्वर, राकेश, देवेंद्र ,चेतन ,बलराम, हरपाल, गोपाल, जितेंद्र, दिनेश और दिग्विजय सिंह सोलंकी ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर पटवारी परीक्षा 2008 में भाग लिया गया था. इसके बाद मामले की जानकारी लगने पर खरगोन पुलिस ने 26 अक्टूबर 2012 को आरोपियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार कर परीक्षा में शामिल होने की धाराओं में मामला दर्ज किया. इसके बाद इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई के द्वारा जांच पड़ताल की गई. सीबीआई की जांच पड़ताल में आरोपियों के खिलाफ लगे आरोप सिद्ध हो गए.

आरोपियों को 5-5 साल की सजा

सीबीआई ने इस पूरे मामले में जांच पड़ताल कर इंदौर की जिला कोर्ट में मौजूद सीबीआई कोर्ट के समक्ष पूरे मामले को रखा. मामले में सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने आरोपियों को 5 वर्ष के कठोर कारावास के साथ ही 3 हजार रु के अर्थ दंड से दंडित किया है. वहीं, इस पूरे मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश सीबीआई डॉक्टर शुभ्रा सिंह द्वारा की गई. इस दौरान सीबीआई की ओर से अभियोजन अधिकारी सबीना शर्मा द्वारा तर्क रखे गए और उन्हीं तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने सभी आरोपियों को सख्त सजा से दंडित किया.

यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट बनाई?

फिलहाल सीबीआई की ओर से तर्क रखने वाली अभियोजन अधिकारी सबीना शर्मा ने पूरे मामले में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं दी लेकिन प्रारंभिक तौर पर यह बात सामने आ रही है कि आरोपियों ने भोपाल की बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी और अन्य यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्क शीट बनाकर पटवारी की परीक्षा में भाग लिया. जब आरोपियों का रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी से मंगवाया गया तो वह फर्जी निकला और उसी के आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपियों को सख्त सजा से दंडित किया

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