संम्पादकीय
देशभर में सीरियल ब्लास्ट के लिए तैयार की जा रही थी 32 गाड़ियां, 12 तारीख को पूरे भारत को दहलाने का था प्लान ।
खुफिया एजेंसियों ने गुरुवार को दिल्ली के लाल किले के पास हुए घातक कार विस्फोट से जुड़ी एक बड़ी आतंकी साजिश का खुलासा किया है। इस विस्फोट में 12 लोगों की जान चली गई थी। सूत्रों के अनुसार, संदिग्धों ने कथित तौर पर कई जगहों पर सीरियल ब्लास्ट करने के लिए लगभग 32 पुराने वाहनों में विस्फोटक लगाने की योजना बनाई थी।
खुफिया एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, चल रही जांच का दायरा तब और बढ़ गया जब पता चला कि आरोपियों ने हमलों में संभावित इस्तेमाल के लिए एक i20 और एक इकोस्पोर्ट वाहन को मॉडिफाई करने का काम शुरू कर दिया था। जांचकर्ता अब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या सिलसिलेवार विस्फोटों को अंजाम देने की व्यापक योजना के तहत इसी तरह के अन्य वाहन भी तैयार किए जा रहे थे।
एक खुफिया सूत्र ने एएनआई को बताया, "i20 और इकोस्पोर्ट के बाद, यह पता चला कि 32 और पुराने वाहनों को तैयार करने की तैयारी चल रही थी, जिनमें विस्फोटक लगाए जा सकते थे।"
हर किसी को दिया गया था एक-एक शहर का टारगेट
इसके अलावा, जांच एजेंसियों ने बताया कि लगभग आठ संदिग्ध कथित तौर पर चार स्थानों पर समन्वित विस्फोट करने की तैयारी कर रहे थे, जिनमें से हर एक को एक टारगेट शहर में तैनात किया गया था।
शुरुआती जांच से संकेत मिलता है कि आरोपी समूह दो-दो करके जाने की योजना बना रहे थे, और हर एक समूह एक साथ कई इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) लेकर हमला करने वाला था। जांच के दायरे में लाल किला विस्फोट के आरोपी डॉ. मुजम्मिल, डॉ. आदिल, डॉ. उमर और शाहीन जैसे पूर्व आतंकी मामलों से जुड़े लोग भी शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, पुलिस कई भारतीय शहरों में सिलसिलेवार विस्फोटों की योजना से जुड़ी एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम करने में सफल रही।
सिग्नल ऐप ग्रुप बनाया था
सूत्रों ने खुलासा किया कि आरोपियों ने मिलकर लगभग 20 लाख रुपये नकद जुटाए थे, जो संचालन खर्च के लिए उमर को दिए गए थे। कथित तौर पर इस धनराशि का इस्तेमाल गुरुग्राम, नूंह और आसपास के इलाकों से लगभग 3 लाख रुपये मूल्य के 20 क्विंटल से अधिक एनपीके उर्वरक (एनपीके उर्वरक नाइट्रोजन (एन), फॉस्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) का मिश्रण है और इसका इस्तेमाल विस्फोटक सामग्री निकालने के लिए किया जा सकता है) खरीदने के लिए किया गया था, जिसका उद्देश्य आईईडी तैयार करना था। जांचकर्ताओं ने यह भी खुलासा किया है कि उमर ने गतिविधियों का सुरक्षित समन्वय करने के लिए दो से चार सदस्यों वाला एक सिग्नल ऐप ग्रुप बनाया था।
जांच एजेंसियों के अनुसार, मारे गए आतंकवादियों के सहयोगियों के साथ संपर्क बनाए रखने के बाद, डॉ. मुजम्मिल 2021 और 2022 के बीच ISIS की एक शाखा, अंसार गजवत-उल-हिंद की ओर आकर्षित हुआ। उसे इरफान उर्फ मौलवी नाम के एक व्यक्ति ने इस नेटवर्क से परिचित कराया था। माना जाता है कि 2023 और 2024 में बरामद हथियार इस मॉड्यूल द्वारा एक स्वतंत्र आतंकवादी समूह बनाने की तैयारी के तहत हासिल किए गए थे।
जांच एजेंसियां व्यापक नेटवर्क का पता लगाने में जुटी हैं, उन्हें संदेह है कि आरोपियों ने निकट भविष्य में हमले को अंजाम देने की योजना बनाई थी। इस बीच, बुधवार को, फरीदाबाद पुलिस ने लाल रंग की इकोस्पोर्ट DL 10 CK 0458 जब्त की, जिसके दिल्ली विस्फोट मामले के मुख्य संदिग्ध डॉ. उमर उन नबी से जुड़े होने का संदेह है। डॉ. उमर से जुड़ी होने का संदेह वाली लाल रंग की इकोस्पोर्ट, खंडावली गांव के पास खड़ी पाई गई।
डॉ. उमर उन नबी ही था हमलावर
इसके अलावा, दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को पुष्टि की कि लाल किले के पास कार विस्फोट करने वाला व्यक्ति डॉ. उमर उन नबी था, क्योंकि फोरेंसिक डीएनए परीक्षण में उसके जैविक नमूने का उसकी मां के नमूने से मिलान हो गया है।
एएनआई से बातचीत में, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह पुष्टि कई दिनों तक किए गए विस्तृत फोरेंसिक विश्लेषण के बाद हुई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने खुलासा किया कि विस्फोट के बाद, उमर का पैर कार के स्टीयरिंग व्हील और एक्सीलेटर के बीच फंसा हुआ पाया गया था, जिससे पता चलता है कि जब कार में विस्फोट हुआ, तब वह गाड़ी चला रहा था।
डीएनए प्रोफाइलिंग से मृतक की पहचान डॉ. उमर उन नबी के रूप में हुई है। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "संबंध स्थापित करने के लिए उसके नमूने का मिलान उसकी मां के डीएनए से किया गया।"
बुधवार को डॉ. उमर की मां और भाई के डीएनए नमूने एकत्र किए गए और उन्हें एम्स की फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजा गया, जहां उनका मिलान दिल्ली के लोक नायक अस्पताल में रखे शवों के अवशेषों से किया गया।
एक और डॉक्टर गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश एटीएस ने दिल्ली ब्लास्ट मामले में जम्मू-कश्मीर के एक कार्डियोलॉजी छात्र डॉ. मोहम्मद आरिफ को कानपुर के कार्डियोलॉजी संस्थान से हिरासत में लिया है। सूत्रों के अनुसार, डॉ. आरिफ डॉक्टर शाहीन के संपर्क में था। जांच के दौरान डॉ. शाहीन के फोन रिकॉर्ड्स खंगालने पर आरिफ का नाम सामने आया। आरिफ नीट-एसएस 2024 बैच का छात्र है और कानपुर के अशोक नगर में किराए के मकान में रहता था। एटीएस की टीम ने उसे उसके किराए के घर से पूछताछ के लिए उठाया।
दूसरी ओर, इंटेलिजेंस एजेंसी सोर्सेज से ये भी पता लगा है कि सुरक्षा एजेंसियों को 12 तारीख का अलर्ट दिया गया था। जांच में सामने आया कि जो डॉक्यूमेंट्स सामने आए, उसमे 12 तारीख का मेंशन था। अनुमान लगाया गया था कि 12 तारीख को आतंकी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। इसलिए 12 तारीख के लिए पुलिस और सुरक्षा एजेंसी ने खास इंतेजाम किए थे।

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