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बांद्रा किले में शराब पार्टी पर घमासान, शिवसेना UBT ने छत्रपति शिवाजी महाराज का बताया अपमान !Controversy erupts over liquor party at Bandra Fort; Shiv Sena UBT calls it an insult to Chhatrapati Shivaji Maharaj!

 महाराष्ट्र के बांद्रा किले परिसर में शराब पार्टी को लेकर घमासान मचा हुआ है. विपक्षी दल शिवसेना (UBT) ने इस पार्टी को लेकर विरोध दर्ज कराया है. शिवसेना यूबीटी के नेता अखिल चित्रे का आरोप है कि ये शराब पार्टी महाराष्ट्र सरकार के शह पर की जा रही है, जो एक तरह से मराठों और छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों का अपमान है.


नेता अखिल चित्रे ने सोशल मीडिया साइट पर वीडियो जारी करते हुए कहा कि पुर्तगालियों द्वारा निर्मित और बाद में ब्रिटिश व मराठा साम्राज्यों के इतिहास की साक्षी रही हेरिटेज धरोहर बांद्रा किला (Bandra Fort) पर शराब पार्टी हुई है. इसकी अनुमति महाराष्ट्र सरकार के राज्य उत्पाद शुल्क विभाग और बीएमसी ने आखिर कैसे दी है? यह सोचने का विषय है. सबसे चौंकाने वाली बात है कि इस किले पर आयोजित शराब पार्टी का आयोजक कोई और नहीं बल्कि महाराष्ट्र पर्यटन विभाग ही बताया जा रहा है.

सरकार के संरक्षण में यह कैसा पर्यटन है?

शिवसेना यूबीटी के नेता अखिल चित्रे का कहना है कि आखिर सरकार के संरक्षण में चल क्या रहा है. यह कैसा पर्यटन है? उनका कहना है कि राज्य की राजधानी मुंबई समेत अन्य जिलों में मौजूद फोर्ट में सरकार ऐसी पार्टियां करा सकती है. उन्होंने कहा कि अगर अभी इसका विरोध नहीं किया गया तो आने वाले समय में महाराष्ट्र सरकार पर्यटन के नाम पर इन सभी फोर्ट में शराब पार्टी आयोजित कराने लगेगी.

ढोंगी हिंदुत्व और दिखावटी संस्कृति

अखिल चित्रे ने भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों के हिंदुत्व और संस्कृति को ढोंग बताया है. उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि क्या महाराष्ट्र की सांस्कृतिक अस्मिता के प्रतीक किले अब मनोरंजन और शराब पार्टियों के आयोजन स्थल बनाए जाएंगे? राज्य के तथाकथित सांस्कृतिक मंत्री आशीष कहां हैं? स्थानीय विधायक और जनप्रतिनिधि इस पर मौन क्यों है? क्या विरासत स्थलों के संरक्षण का अर्थ यह है कि उन्हें निजी कार्यक्रमों और शराब पार्टियों के लिए खोल दिया जाए?

इतिहास के साथ खिलवाड़

स्थानीय निवासियों के अनुसार यह वीडियो 16 नवंबर की मध्यरात्रि को रिकॉर्ड किया गया है, जिसमें कथित तौर पर बांद्रा किले पर शराब पार्टी होते दिखाई देती है. यह सिर्फ एक किला नहीं, इतिहास की धरोहर, सांस्कृतिक पहचान और अस्मिता का प्रतीक है.ऐसे स्थलों पर इस प्रकार की गतिविधियां न केवल आपत्तिजनक हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के इतिहास के साथ खिलवाड़ है.

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