.जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कहा कि ये सवाल पहले भी उठाए गए थे. उनके सब प्रश्नों के उत्तर वहां पर मिल गए, बस एक प्रश्न बाकी रहा. संघ का फंडिंग कैसे होता है? इसके बारे में मैंने पहले भी बताया था और वहां भी यही बताया कि ये ‘गुरू दक्षिणा’ है. फिलहाल, इसे लेकर उन्हें सारी जानकारी मिल चुकी ही है, लेकिन उनका ये सवाल अभी भी बना हुआ है.ऐसा इसलिए क्योंकि वो इसपर विश्वास नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि किसी संगठन के सदस्य अपने खर्चे से केवल चलाते हैं ऐसा नहीं है बल्कि समर्पणवृत्ति से देते हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा था कि भारत एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभरा है जिस पर अब दुनिया वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए निर्भर है.
मील-दर-मील बढ़ रहा भारत
जयपुर में एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित दीनदयाल स्मृति व्याख्यान में उन्होंने शनिवार को कहा कि दुनिया वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए भारत की ओर देखती है. देश के तेजी से विकास पर नजर डालते हुए सीएम भागवत ने कहा कि इंच-दर-इंच बढ़ने के बजाय, भारत अब मील-दर-मील बढ़ रहा है. भारत की दुनिया भर में प्रतिष्ठा है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत के पास दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान देने की बौद्धिक गहराई है. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत के पास दुनिया के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान देने के लिए बुद्धि और विचार दोनों हैं.
वैश्विक संघर्षों के इतिहास पर विचार करते हुए, भागवत ने कहा कि युद्ध राष्ट्रवाद से उपजते हैं. उन्होंने कहा कि युद्ध राष्ट्रवाद के कारण होते हैं, इसलिए वैश्विक नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीयता की बात करना शुरू कर दिया. लेकिन हमने देखा कि जो लोग अंतर्राष्ट्रीयता की बात करते हैं, वे अपने राष्ट्र के हित को सर्वोपरि रखते हैं.

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