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ट्रंप के मनमौजीपन से शीत युद्ध जैसी नौबतTrump's capriciousness has led to a Cold War-like situation.

 न्यूयॉर्क: शांति के नोबेल पुरस्कार पर नजरें गड़ाए बैठे अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की Truth Social पोस्ट ने सारी दुनिया को हिला दिया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात से ठीक पहले यह उकसावे वाला कदम था या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 8000 किमी तक मार करने वाली मिसाइल के सफल परीक्षण की प्रतिक्रिया कहना मुश्किल है। लेकिन, उनके एक बयान ने शीत युद्ध की यादों को ताजा कर दिया।


अनिश्चित राजनीति । ट्रंप का कहना है कि जब बाकी देश खुलेआम परमाणु हथियारों की रेस में शामिल हैं, तो फिर हम पीछे क्यों रहें? अमेरिका ने 23 सितंबर 1992 को आखिरी परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद संसद के एक प्रस्ताव के जरिए 'टेस्ट मोराटोरियम' यानी परीक्षण पर रोक लगाई गई, जिसे अभी तक निभाया गया है। लेकिन, ट्रंप इसे जारी रखने के मूड में नहीं। अमेरिका में इन दिनों मीम्स चल रहे हैं कि 'भगवान और शैतान के इरादे का अंदाजा लगाया जा सकता है, पर ट्रंप कब क्या बोलेंगे - यह कोई नहीं बता सकता !' ट्रंप की राजनीति हमेशा से 'बम फोड़ने' की रही है।

अब ज्यादा खतरा । 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा पर 'लिटिल बॉय' नामक 15 किलोटन क्षमता का परमाणु बम गिराया था और तापमान 7000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। ठीक तीन दिन बाद नागासाकी पर 'फैट मैन' नाम का थोड़ा बड़ा बम गिराया गया, जिसकी जलन आज तक चुभती है। आजकल के मेगाटन परमाणु हथियारों के सामने वे बहुत छोटे थे। आज दुनिया को खत्म करने के लिए विश्व युद्ध की दरकार नहीं है, बस एक सिरफिरा शासक चाहिए।

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