जहां देश भर में राधे_राधे नाम की पताका फहराने वाले गोपाल कृष्ण बंधुओ के संकीर्तन मंडल के कलाकारों के बीच डॉ सुरेशचंद्र रावत ने जब अपनी सरगम की धुन पर प्रस्तुति दी तो हजारों लोग तालियां बजाकर उनके अंदाज की तारीफ के कसीदे गढ़ने लगे।
जी हां....सागर शहर ही नहीं बुंदेलखंड अंचल के हर उस मंच पर डॉ सुरेशचंद्र रावत को वह सम्मान दिया जाता है जो एक "खास" का होता है....। मंच चाहे राजनीतिक हो सामाजिक; धार्मिक या सांस्कृतिक । सभी में डॉक्टर सुरेशचंद्र रावत को मुख्य अतिथि या अध्यक्षता करने के रूप में सादर आमंत्रित किया जाता है।
डॉक्टर सुरेशचंद्र रावत वह शख्सियत है जो सागर शहर के सदर क्षेत्र में करीब 50 वर्षों से अपनी चिकित्सा सेवा देकर लाखों लाख लोगों को लाभ पहुंचा रहे हैं। वहीं शहर में बात चाहे सामाजिक; सांस्कृतिक के धार्मिक कार्यक्रम की हो सभी में अपना यथायोग्य सहयोग तन_मन और धन से करते हैं।
बुंदेलखंड अंचल के चाहे मंत्री हो सांसद या विधायक सभी इनका सम्मान करते हैं । डॉक्टर रावत न केवल समाजसेवा और डॉक्टरी पेशा में आगे हैं बल्कि 80 साल की उम्र में भी रफ़ी और मुकेश के नगमे गाकर मंच से कला के कद्रदानों की तालियां लूटते हैं।
(चित्र में लघु उद्योग केंद्र से सेवानिवृत जनरल मैनेजर श्री केके बक्शी; समाजसेवी जस्सी सरदार के साथ पत्रकार विपिन दुबे)


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