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इंदौर बायपास बना मौत का सौदागर ? नौकरशाह और महापौर चुप्पी साघे बैठे हैं !Indore Bypass a merchant of death? Bureaucrats and the Mayor are silent!


इन्दौर :   महाजाम जैसे हालात रोजाना बाईपास और रिंग रोड पर देखने को मिलेंगे पुलिस के कारण और भी वहां पर जाम लग जाता है यहाँ से निकलनाएक बहुत बड़ा टास्क है जो की यहां का रहवासी आए दिन करता है । यहाँ इतनी जगह नहीं रहती की एंबुलेंस निकल जाए !


 शहर भले देशभर में सबसे स्वच्छ शहर का तमगा लिए हुए हो। लेकिन शहरी सीमा हो या फिर रिंगरोड या फिर बायपास। हर तरफ महाजाम जैसे हालात आसानी से देखे जा सकते हैं। हर जगह वाहन चालक आपस में गुत्थम गुत्था होते रहते हैं। सबसे ज्यादा खराब हालात शाम चार से रात नौ बजे तक हो जाते हैं। इस दौरान शहरी सीमा की सड़के वाहनों से पटी रहती हैं। तो रिंगरोड और बायपास जैसी सड़कों पर वाहन चालकों का दम निकल जाता हैं। महाजाम जैसे हालातों में वाहन रेंग भी नहीं सकते हैं। घंटों तक वाहन चालक परेशान होते रहते हैं। लेकिन शहर के जनप्रतिनिधि मात्र जनता को ढांढस बांध देते हैं वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक और पुलिस अमला मात्र कार्यवाही करते हुए इतिश्री कर लेते हैं। मगर किसी के पास दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही जाम की समस्याओं का किसी के पास कोई स्थाई उपचार नहीं हैं।

ई रिक्शा, ऑटो, आई बस, सुविधा की बजाय बनी दुविधा।

पर्यावरण को देखते हुए शहरी सीमा में ई रिक्शा, ई ऑटो, आईबस जैसे सार्वजनिक परिवहन की शुरुआत तो कर दी गई। लेकिन इन में ई रिक्शा और ई ऑटो जैसे साधन सुविधा की बजाय शहर की जनता के दुविधा और परेशानी की वजह साबित हो रहे हैं। MG रोड, जवाहर मार्ग, रेलवे स्टेशन, सहित राजवाड़ा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में इनकी दादागिरी बद इंतजामी से हर कोई दुखी हैं। क्योंकि ई रिक्शा और ऑटो चालक कहीं भी घुस जाते हैं। जिसकी वजह से यातायात बहुत बुरी तरह प्रभावित होता हैं। बायपास अधूरे कार्य, गड्डे, और कटी फटी सड़के।

बायपास पर NHAI द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों की वजह से बायपास पर वाहन चलाना आसान नहीं हैं। क्योंकि अधूरे कार्य, खराब सड़के, सड़को पर गड्ढे और कटी फटी सड़के कभी भी दुर्घटना को आमंत्रित करते रहते हैं।

रिंगरोड उपनगरीय, अन्य बसों का कब्ज़ा।

इधर शहर का पश्चिमी रिंगरोड हो या पूर्वी रिंगरोड हर जगह उपनगरीय, अन्य लंबी दूरी की बसों का कब्ज़ा जमा हुआ हैं। उक्त बसें कहीं खड़ी हो जाती है। मुख्य सड़को पर पार्किंग हो जाती हैं। उक्त बस संचालकों के आपसी विवाद, सवारियों की जद्दोजहद की वजह से शहर का वाहन चालक परेशान होता रहता हैं। इस दौरान कई बार हादसे भी हो चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी जिम्मेदार हमेशा औपचारिकता वाली कार्यशैली अपनाते हुए अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेते हैं।

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