इंदौर। शहर की भीड़-भाड़, भागदौड़ और आधुनिकता से भरी ज़िंदगी के बीच जब सखी ग्रुप की 100 से अधिक महिलाओं ने एक दिन के लिए खुद को गाँव के माहौल में ढाला, तो नज़ारा देखते ही बनता था। सखी ग्रुप द्वारा आयोजित ‘Village Vibe – Gaon Theme Masti Meet’ ने न केवल ग्रामीण संस्कृति को शहर में जीवंत कर दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि परंपरा और आधुनिकता एक साथ मिलकर कितना सुंदर अनुभव दे सकती हैं।
इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि लोकप्रिय पार्षद सीमा सोलंकी जी थी उन्होंने भी इस अनूठे प्रोग्राम की बहुत सराहना की ओर कहा एसे आयोजन हमेशा करते रहना चाहिए जिससे गांव की परंपराओं से आज भी जुड़ा हुआ रहे l
कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण के साथ हुई, जिसके बाद सभी सखियाँ देसी लुगड़ा, घाघरा, पगड़ी, नौवारी साड़ी और रंग-बिरंगे दुपट्टों में पूरी तरह देसी रूप में नज़र आईं। आयोजन स्थल को असली गाँव की तरह सजाया गया था—झोपड़ीनुमा छप्पर, रस्सियों की झूले, मटकी, चाक, ढोलक, मिट्टी के कलश, गेहूँ की पूंज और गाँव में मिलने वाले हस्तनिर्मित सामान ने वातावरण को जीवंत बना दिया। प्रवेश द्वार पर ‘ग्राम स्वागतम’ का बोर्ड और पारंपरिक ढोल की थाप से सभी का स्वागत किया गया।
सखी ग्रुप की संस्थापक अध्यक्ष सपना बाठीया, वर्तमान अध्यक्ष शैफाली मेहता और संयोजिका डॉ. रीना पाटील ,नेहा ,रितिका ,रेणुका ,निकता ने बताया कि इस मीटिंग का उद्देश्य था—ग्रामीण संस्कृति, देसी खेल, लोकगीत और मिलकर रहने की भावना को याद करना। आज जब लोग आधुनिकता की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं, ऐसी थीम हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है।
मीटिंग के दौरान महिलाओं ने गाँव में खेले जाने वाले पारंपरिक खेलों का भरपूर आनंद लिया। गोड़ा-बदम, रस्सी कूद, आंख-मिचौली, मटका बैलेंसिंग, पनिहारी दौड़, गुड़िया-गुड़िया, और ‘मोटका फोड़ प्रतियोगिता’ ने सभी को बचपन के दिनों में वापस पहुँचा दिया। कई महिलाएँ तो वर्षों बाद रस्सी कूदकर हंसी से लोटपोट हो गईं। वहीं दूसरी ओर देसी तंबोला और पहेलियों के राउंड में ग्रामीण बोली का तड़का लगा, जिसने माहौल को और भी मनोरम बना दिया।
खाने में बाजरे की खिचड़ी, दाल-बाफला, ढोकला, चूरमा, दही-कचोरी और गुड़-चने जैसे देसी व्यंजनों ने सभी के स्वाद का खास ख्याल रखा। कई महिलाओं ने खुद घर से भी पारंपरिक व्यंजन तैयार करके लाए, जिसे ‘ग्रामिण पौटलक’ का रूप दिया गया।
इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि सभी सखियों ने अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर एक दिन प्रकृति, परंपरा और आपसी प्रेम को समर्पित किया। अंत में सखी ग्रुप की ओर से सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए और समूह फोटो के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
सखी ग्रुप की यह अनोखी पहल न केवल यादगार रही, बल्कि आने वाले समय के लिए प्रेरणादायी भी बनी—कि संस्कृति, परंपरा और मिलकर मस्ती मनाने का आनंद किसी भी आधुनिक थीम से कम नहीं होता।

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