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मध्य प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला, लैंड पूलिंग एक्ट निरस्त, किसानों ने रोका प्रदर्शनMadhya Pradesh government's big decision, Land Pooling Act repealed, farmers stopped protest

 उज्जैन: साल 2028 में होने वाले उज्जैन सिंहस्थ को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला किया है. सिंहस्थ के लिए की जा रहे लैंड पूलिंग को लेकर किसानों के विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने अब इससे अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने लैंड पूलिंग को निरस्त करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री निवास पर किसान संगठनों के साथ हुई बैठक में इसका निर्णय लिया गया. सरकार के इस फैसले का किसान संगठनों ने स्वागत किया है. लैंड पूलिंग के विरोध में मंगलवार को उज्जैन में किसान धरना प्रदर्शन शुरू करने जा रहे थे. जिसे अब निरस्त कर दिया गया है.


सोमवार रात सीएम हाउस में बैठक

सोमवार रात को किसान संघ, भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों और जिला प्रशासन उज्जैन के साथ मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने मुख्यमंत्री निवास पर बैठक की. जहां सिंहस्थ के आयोजन को लेकर समग्र रूप से चर्चा की गई. सिंहस्थ का आयोजन दिव्य, भव्य और विश्वस्तरीय करने के लिए हर संभव प्रयास करने पर सहमति बनी. साधु संतों, किसानों के हितों का व्यापक रूप से ध्यान रखा जायेगा.

चर्चा के बाद सिंहस्थ लैंड पूलिंग को निरस्त करने का निर्णय लिया गया. मुख्यमंत्री ने नगरीय प्रशासन विकास विभाग और जिला प्रशासन को आदेश जारी करने के निर्देश दिये. बैठक में बीजेपी अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, किसान संघ की ओर से महेश चौधरी, कमल सिंह आंजना, अतुल माहेश्वरी, मौजूद रहे. किसान संघ ने मुख्यमंत्री के निर्णय का स्वागत किया है.

क्या है लैंड पूलिंग?

लैंड पूलिंग में किसानों की आधी जमीन स्थायी रूप से चली जाती है. किसानों को डर रहता है कि इसका उन्हें मुआवजा भी नहीं मिलता. लैंड पूलिंग में 50 प्रतिशत जमीन किसान के पास रहेगी, जबकि 50 प्रतिशत में सरकार निर्माण करेगी. जिसमें 25 प्रतिशत में सड़क, बिजली, सीवर लाइन, स्ट्रोम वाटर ड्रेन, अंडरग्राउंड लाइन बिजली, पानी व अन्य 5 प्रतिशत पर पार्क, झूले, जिम, लॉन, प्लांटेशन, वॉकिंग पाथवे, 5 प्रतिशत पर अस्पताल, स्कूल, जनसुविधा केंद्र, पार्किंग व अन्य. बाकी के 15 प्रतिशत जरूरत के अनुसार उपयोग में लिए जाने का निर्णय.

1800 से अधिक किसानों का था विरोध

मध्य प्रदेश सरकार लैंड पूलिंग एक्ट के माध्यम से 1800 से अधिक किसानों की जमीन पर स्थाई सिंहस्थ सिटी का निर्माण करवाने जा रही थी. जिससे हर 12 साल में सिंहस्थ को लेकर श्रद्धालुओं की मूलभूत सुविधाएं, टेंट तंबू में भीषण गर्मी के कारण आगजनी की घटनाओं से बचने, होने वाले खर्चे को रोकने व अन्य बातों को ध्यान में रखा गया था. 2000 करोड़ के लगभग ये योजना बनाई गई थी, लेकिन इस बीच किसानों को उनकी 50% जमीन जाने का डर सताने लगा.

किसानों ने भारतीय किसान संघ के माध्यम से सबसे पहले उज्जैन में विशाल ट्रैक्टर रैली निकाली. उसके बाद क्षिप्रा नदी में जल सत्याग्रह कर प्रदर्शन किया. मालवा प्रांत की किसान संघ की महिलाओं के माध्यम से रैली निकाली. 18 नवंबर को बड़े प्रदर्शन के लिए एक और वाहन रैली निकालकर सरकार को चेतावनी देने वाले थे. इससे पहले ही सरकार ने भारतीय किसान संघ की परेशानी का निराकण किया है.

कांग्रेस बोली यह किसानों की बड़ी जीत

लैंड पूलिंग मामले में सरकार के महत्वपूर्ण फैसले को विधानसभा नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने किसानों की जीत बताया है. उन्होंने कहा कि "उज्जैन के किसानों की जमीन छीनने की कोशिश के खिलाफ जबरदस्त जनविरोध के बाद आखिरकार सरकार को पीछे हटना पड़ा. हमने शुरुआत से कहा था कि किसानों पर अन्याय करोगे तो जवाब देना पड़ेगा. आज वही हुआ. सरकार को लैंड पूलिंग नीति निरस्त करनी पड़ी. मैंने लगातार किसानों के इस मुद्दे को विधानसभा में भी और जनता के बीच भी उठाया और उनकी आवाज़ को मजबूती देने की कोशिश की. किसानों के हक की लड़ाई में हम हमेशा साथ खड़े हैं."

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