मुंबई परीक्षित गुप्ता
परेश रावल की 'द ताज स्टोरी' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है जिसे ज्यादातर पॉजिटिव रिव्यू ही मिले हैं। किसी ने इसे ‘सच और इतिहास के बीच फंसा एक कोर्टरूम ड्रामा’ बताया तो किसी ने इसके लेखन की तारीफ की।
परेश रावल की फिल्म 'द ताज स्टोरी' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है जिसे दर्शकों से अबतक बढ़िया रिव्यू ही मिले हैं। तुषार अमरीश गोयल के निर्देशन में बनी इस फिल्म में धर्म, इतिहास और सच्चाई तीनों के बीच टकराव को दिखाया गया है। फिल्म में गाइड बने परेश रावल को ताजमहल का डीएनए निकालते हुए देखा गया जिसे सोशल मीडिया पर जबरदस्त रिव्यू मिल रहे हैं।
फिल्म में एक ऐसे गाइड की कहानी दिखाई गई है जो ताजमहल घूमने आए टूरिस्ट को उसकी कहानी सुनाते हैं लेकिन कहानी तब मोड़ लेती है, जब वही गाइड ताजमहल पर केस दर्ज कर देता है। इस केस के बाद पूरा शहर और मीडिया चौंक जाता है। इसके बाद कोर्टरूम में इतिहास के पन्ने खुलते हैं और ताजमहल की कहानी को लेकर बहस छिड़ जाती है।
फिल्म 'द ताज स्टोरी' को मिले कैसे रिव्यू?
फिल्म 'द ताज स्टोरी' रिलीज से पहले ही विवादों में आ गई थी। अब सोशल मीडिया पर फिल्म देखने वालों के पहले रिएक्शन आने सामने आ गए हैं जो ज्यादातर पॉजिटिव ही हैं। किसी ने इसे ‘सच और इतिहास के बीच फंसा एक कोर्टरूम ड्रामा’ बताया तो किसी ने इसके लेखन की तारीफ की।
एक यूजर ने लिखा- ‘यह फिल्म महज एंटरटेनमेंट से कहीं बढ़कर है। ये उन लाखों लोगों के संदेह और भावनाओं को दर्शाती है जो हमें पढ़ाए गए झूठे इतिहास पर सवाल उठा रहे हैं’।
यूजर ने भी फिल्म की तारीफ की और एक्स हैंडल पर लिखा- ‘द ताज स्टोरी देखने लायक है। विवादों से अलग, ये झूठ के खिलाफ सच की एक दिलचस्प कहानी है। निष्पक्ष होकर देखें तो परेश रावल सर बेहतरीन हैं और कलाकारों का काम भी अच्छा है। इसे देखिए, यह आपको हैरान कर सकती है। बहुत बढ़िया’। बहुत से लोग सोशल मीडिया के जरिए फिल्म 'द ताज स्टोरी' को "इमोशनल रोलरकोस्टर" और “एक बेहतरीन फिल्म” भी बता रहे हैं।
क्यों विवादों में ‘द ताज स्टोरी’?
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 'द ताज स्टोरी' की रिलीज के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि यह फिल्म "मनगढ़ंत तथ्यों" पर आधारित है और राजनीतिक फायदा उठाने और सांप्रदायिक अशांति भड़काने के उद्देश्य से एक "प्रोपेगेंडा" को बढ़ावा देती है। याचिका में ट्रेलर का जिक्र किया गया जिसमें ताजमहल के गुंबद को ऊपर उठाते हुए भगवान शिव की एक आकृति दिखाई देती है, जो दर्शाता है कि यह स्मारक मूल रूप से एक मंदिर था।

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