सोचिए, रात का माहौल, सामने स्टेज, चारों तरफ जोश से भरी भीड़, सबके हाथ हवा में और लोग एक ही रिदम पर झूम रहे हों। सुनकर लगता है जैसे कोई EDM नाइट चल रही हो, है ना? लेकिन नहीं। ये है भजन क्लबिंग (Bhajan Clubbing among Gen-Z), भारत के युवाओं का नया फेवरेट नाइट-आउट ट्रेंड, जहां तेज बीट्स की जगह भजन बजते हैं, शराब की जगह चाय हाथों में होती है और हाई का असली ‘किक’ आता है सामूहिक मंत्रोच्चार से।
कभी माता-पिता और बुजुर्गों का शौक माने जाने वाले भजन-कीर्तन आज कैफे, बैंकेट हॉल, रेस्टोरेंट और कम्युनिटी स्पेसेज में युवाओं, खासकर जेन-जी को आकर्षित कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल होते वीडियो बताते हैं कि Gen-Z सिर्फ अपने फोन पर भजन नहीं सुन रहा है, बल्कि पूरे जोश में गा और नाच भी रहा है। आइए समझें कि अचनाक यह ट्रेंड कैसे शुरू हुआ।
आखिर क्यों हो रहा है यह बदलाव?
आज का युवा तनाव, ओवरथिंकिंग, ऑनलाइन तुलना, करियर प्रेशर और तेज-तर्रार लाइफस्टाइल से घिरा हुआ है। ऐसे में वे कुछ ऐसा चाहते हैं जो शांति भी दे और उन्हें अपनेपन का एहसास भी कराए। भजन क्लबिंग उसी जरूरत को पूरा कर रही है बिना शराब या तेज म्यूजिक के।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, भजन या मंत्रों की रिपिटेटिव रिदम दिमाग को शांत करती है, तनाव कम करती है और फोकस बढ़ाती है। इसके साथ ही भीड़ में मिलकर गाना एक तरह का इमोशनल डिटॉक्स बन जाता है, जहां लोग खुद को ज्यादा हल्का और कनेक्टेड महसूस करते हैं।
स्पिरिचुअलिटी का कूल और मॉडर्न रूप
सोशल मीडिया ने इस ट्रेंड को और भी बड़ा बना दिया है। कई कलाकारों के भजन-जैम सिर्फ क्लिप्स नहीं,एक पूरा फेनोमेनन बन चुके हैं। राधिका दास, कृष्णा दास जैसे ग्लोबल भजन आर्टिस्ट पहले ही युवा फैनबेस जमा कर चुके थे, लेकिन अब भजन-क्लबिंग ने युवाओं के लिए पूरे माहौल को और रोमांचक और खुशनुमा बना दिया है। यहां DJ सेट के साथ संस्कृत मंत्र चलते हैं, दोस्तों के साथ मिलकर लोग भजन-जैम करती है और युवाओं की भीड़ उसी एनर्जी से ताल मिलाती है जैसी वे किसी म्यूजिक फेस्ट में मिलाते हैं।
स्पिरिचुएलिटी की ओर क्यों बढ़ रहा है युवा?
कम दबाव वाला माहौल- यहां कोई जज नहीं करता।
सुरक्षित और पॉजिटिव वाइब्स- शराब या धमाचौकड़ी नहीं, बस संगीत और खुशी।
मेंटल पीस- मंत्रोच्चारण से दिमाग रिलैक्स होता है।
कम्युनिटी कनेक्शन- अनजान लोग भी एक परिवार जैसी फीलिंग देते हैं।
सेल्फ केयर का नया तरीका- स्पिरिचुएलिटी को सेल्फ केयर समझकर अपनाया जा रहा है।
आज के यंगस्टर्स थेरेपी, योग, मेन्टल हेल्थ और माइंडफुलनेस सबको मिलाकर एक हॉलिस्टिक लाइफस्टाइल बनाना चाहते हैं। भजन क्लबिंग उन्हें वही प्लेटफॉर्म देती है, जहां पार्टी का मजा भी है और शांति भी।
एक बढ़ता हुआ कल्चरल मूवमेंट
भारत का आध्यात्मिक बाजार पहले ही बेहद बड़ा है और अनुमान है कि आने वाले 10 सालों में यह कई गुना बढ़ेगा। भजन क्लबिंग उसी बदलाव का हिस्सा है, जहां भक्ति केवल मंदिरों में नहीं, बल्कि नाइटलाइफ का हिस्सा बन रही है। दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोलकाता से लेकर गुजरात तक कई जगहों पर हर वीकेंड भजन-कॉन्सर्ट होने लगे हैं, जिनके टिकट भी मिनटों में बिक जाते हैं। कुल मिलाकर समझ लीजिए कि जो पीढ़ी पहले क्लबिंग के लिए मशहूर थी, वही आज भजन-क्लबिंग की रिदम पर झूम रही है। यह सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, यह युवाओं की बदलती सोच और उनकी पीस ओवर प्रेशर वाली लाइफस्टाइल का खूबसूरत रिफ्लेक्शन है।

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