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मोहन भागवत के बयान पर दिग्विजय सिंह का पलटवार,कहा-हिंदू धर्म की तुलना संघ से करना सनातन धर्म का अपमानDigvijay Singh retorted to Mohan Bhagwat's statement, saying that comparing Hinduism with the Sangh is an insult to Sanatan Dharma.

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने तीखा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख ने आरएसएस जैसे अपंजीकृत संगठन की तुलना हिंदू धर्म से करके करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की आस्था का अपमान किया है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि कुछ दिन पहले बेंगलुरु में आरएसएस के शताब्दी समारोह के दौरान मोहन भागवत ने कहा था कि अगर आरएसएस अपंजीकृत है, तो हिंदू धर्म और इस्लाम भी अपंजीकृत हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि भागवत जी, आपने सनातन धर्म को एक संगठन से जोड़कर उसका अपमान किया है। हिंदू धर्म कोई संस्था नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा है।

 आपकी यह तुलना अज्ञान और अहंकार दोनों को दर्शाती है।संघ प्रमुख से मांगी देशवासियों से माफीदिग्विजय सिंह ने कहा कि वे स्वयं एक सनातन धर्म के अनुयायी और हिंदू साधक हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें 1983 में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी से दीक्षा प्राप्त हुई थी। सिंह ने कहा कि मैं एक हिंदू के रूप में आपकी बात की कड़ी निंदा करता हूं। आपको देश, संत-महात्माओं और चारों पीठों के शंकराचार्यों से माफी मांगनी चाहिए।

संघ के नेता मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते हैंउन्होंने आरोप लगाया कि संघ के कई प्रचारक और नेता मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाले बयान देते हैं। दिग्विजय ने कहा कि “मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों या जैनियों के खिलाफ जहर उगलना राष्ट्र की एकता पर हमला है। उन्होंने कहा कि “संघ और बीजेपी देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम कर रहे हैं।

अगर संघ अपंजीकृत है, तो टैक्स में छूट कैसे?पूर्व सीएम ने मोहन भागवत से सवाल किया कि जब संघ पंजीकृत संगठन नहीं है, तो उसे आयकर से छूट किस आधार पर मिली? गुरु दक्षिणा किस खाते में जाती है? किस कोर्ट या जज ने संघ को मान्यता दी?” उन्होंने कहा कि यह पारदर्शिता का मामला है। जब कोई अकाउंट नहीं है, तो करोड़ों रुपये का हिसाब कौन देता है? दिग्विजय सिंह ने कहा कि संघ न तो आजादी की लड़ाई में शामिल हुआ, न ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ा। उन्होंने कहा कि संघ के संस्थापक हेडगेवार जी ने जेल तो काटी, लेकिन बाद में संघ ने अपने कार्यकर्ताओं को ब्रिटिश सेना में भर्ती होने की सलाह दी। क्या यही राष्ट्रभक्ति है?1925 में बने अन्य संगठन पंजीकृत हुए, RSS नहींउन्होंने कहा कि 1860 में बने सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन जैसे संस्थान पंजीकृत हुए थे, लेकिन RSS ने तब भी पंजीकरण नहीं कराया। आजादी के बाद भी उसने कानूनों को दरकिनार किया। दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्होंने वित्त मंत्री को 2021 में पत्र लिखकर यह मांग की थी कि जब संघ का कोई आधिकारिक खाता नहीं है, तो वह कोविड के दौरान खर्च किए गए 7 करोड़ रुपये का हिसाब कैसे दे सकता है? उन्होंने कहा कि “इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच होनी चाहिए।

गांधी की हत्या करने वाला गोडसे संघ से जुड़ा थादिग्विजय ने कहा कि संघ नाथूराम गोडसे को अपना सदस्य नहीं मानता, जबकि उसके भाई ने स्वयं यह बात स्वीकार की थी कि गोडसे RSS कार्यकर्ता था। उन्होंने कहा कि “संघ के पास जब कोई सदस्यता फॉर्म ही नहीं है, तो कैसे साबित होगा कि कौन सदस्य है और कौन नहीं? उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि सनातन धर्म सभी मतों का सम्मान करता है। संघ प्रमुख को यह याद रखना चाहिए कि भारत की ताकत विविधता में है, न कि विभाजन में।यह था मोहन भागवत का बयान कर्नाटक के बेंगलुरु में आयोजित 100 इयर्स ऑफ संघ जर्नी न्यू होराइजन्स कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा था कि संघ की शाखा में मुस्लिम, ईसाई और हिंदू सभी आते हैं। हम सब भारत माता के पुत्र हैं  यही संघ की कार्यशैली है।

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