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अयोध्या में CM योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत की 90 मिनट की मुलाकात, आखिर क्या हुई बात?90-minute meeting between CM Yogi Adityanath and Mohan Bhagwat in Ayodhya, what happened?

 राम मंदिर की पवित्र नगरी अयोध्या एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह रामलला का ध्वजारोहण समारोह नहीं, बल्कि सोमवार शाम हुई एक गुपचुप लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण मुलाकात है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या के साकेत निलयम स्थित संघ कार्यालय में करीब डेढ़ घंटे तक बंद कमरे में चर्चा की. बैठक की आधिकारिक जानकारी तो नहीं दी गई है. लेकिन सूत्रों के हवाले से मिल रही खबरें इसे 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले का बड़ा राजनीतिक संकेत बता रही हैं.


कब और कैसे हुई मुलाकात?

सोमवार दोपहर मोहन भागवत अयोध्या पहुंचे थे. वह गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब में सिख गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस के कार्यक्रम में शामिल हुए.इसके बाद उन्होंने राम मंदिर में दर्शन-पूजन किया. शाम करीब 6 बजे वह साकेत निलयम (आरएसएस का अयोध्या कार्यालय) पहुंचे. ठीक डेढ़ घंटे बाद, यानी शाम साढ़े सात बजे के करीब सीएम योगी आदित्यनाथ भी उसी परिसर में पहुंचे. दोनों नेताओं के बीच करीब 90 मिनट तक एकांत चर्चा हुई.

मुलाकात का समय और स्थान क्यों खास?

राजनीतिक गलियारों में यह सवाल जोरों पर है कि जब दोनों नेता रविवार को ही लखनऊ में एक ही मंच पर थे, तो फिर अलग से मुलाकात की क्या जरूरत पड़ी? और वह भी लखनऊ की बजाय अयोध्या में? ‘लखनऊ में तो प्रोटोकॉल होता है, कैमरे होते हैं, मीडिया होता है. अयोध्या में साकेत निलयम पूरी तरह संघ का अपना परिसर है. वहां कोई बाहरी व्यक्ति नहीं पहुंच सकता. यानी जो बातें होनी थीं, वे पूरी तरह गोपनीय रखनी थीं.’

2027 का ब्लूप्रिंट या कुछ और?

उत्तर प्रदेश में अभी से 2027 के विधानसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू हो चुकी है. पिछले कुछ महीनों से यह चर्चा भी गरम है कि संगठन और सरकार के बीच कुछ मुद्दों पर तालमेल की जरूरत है. जातीय समीकरण, राम मंदिर आंदोलन के बाद हिंदुत्व की नई परिभाषा और बीजेपी-संघ के बीच भावी रणनीति. इन सबको लेकर यह बैठक अहम मानी जा रही है.

सूत्रों का दावा है कि बातचीत में निम्न मुद्दे प्रमुख रहे.2027 के चुनाव में हिंदुत्व के साथ सामाजिक समरसता का संदेश कैसे ले जाना है. राम मंदिर आंदोलन के बाद कार्यकर्ताओं में आ रही शिथिलता को दूर करने की रणनीति प्रदेश में संगठन और सरकार के बीच कथित तनाव के समाधान के साथ-साथ आगामी कुंभ मेला और उसके राजनीतिक उपयोग पर चर्चा हुई. ऐसा माना जा रहा धर्मांतरण के नए तरीके पर चर्चा हुई है. यूपी में आपसी गुटबाजी जैसे मुद्दे हो सकते हैं.

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