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सियासत का सिकंदर Alexander of politics

संम्पादकीय

पहले चुनाव में हार... फिर कैसे तय किया 10वीं बार CM बनने का सियासी सफर ?

बिहार की सियासत में अगर कई कहानी सबसे दिलचस्प और अप्रत्याशित है, तो वो है नीतीश कुमार। एक ऐसा नेता, जिसने आम आदमी से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय किया है। बिहार की राजनीति में उन्हें ‘सियासत का सिकंदर’ यूं ही नहीं कहा जाता।



नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर चार दशकों से अधिक समय तक फैला हुआ है। यह सफर उतार-चढ़ाव, गठबंधनों के बदलते समीकरण और सत्ता की जटिल रणनीतियों से भरा रहा है। बिहार की राजनीति में उन्हें ‘सियासत का सिकंदर’ यूं ही नहीं कहा जाता।

1985 - राजनीतिक यात्रा की शुरुआत

नीतीश कुमार ने 1985 में जनता दल के टिकट पर अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता। शुरुआती दौर में उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर राजनीति की जमीन तैयार की और 1989 में जब लालू विपक्ष के नेता बने तो दोनों की दोस्ती राजनीतिक चर्चा का विषय थी। हालांकि, समय के साथ मतभेद बढ़ते गए और दोनों का साथ टूट गया।

1994 - लालू प्रसाद के खिलाफ निर्णायक मोड़

1994 में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के खिलाफ बड़े विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जॉर्ज फर्नांडीस नेतृत्व वाले इस दल-बदल में 14 सांसद शामिल हुए, जिसने जनता दल (जॉर्ज) का रूप लिया और आगे चलकर यही दल समता पार्टी बना। यह घटना नीतीश के लिए राजनीतिक तौर पर निर्णायक मोड़ थी।

1996-2004 - भाजपा के साथ गठबंधन, केंद्र की राजनीति में छाप

1996 में नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन किया, जो आगे चलकर लंबे समय तक चला। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वे रेल मंत्री बने और अपने कार्यकाल में कई सुधारों की शुरुआत की, जिन्हें काफी सराहना मिली।

2000 - पहली बार मुख्यमंत्री, सात दिनों में सरकार गिर गई

नीतीश कुमार पहली बार 2000 में बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन संख्याबल की कमी के कारण उनकी सरकार सिर्फ सात दिन में गिर गई। यह एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण अध्याय था जिसने आगे की राजनीतिक रणनीति की नींव रखी।

2005 - शानदार वापसी और 'नए बिहार' की शुरुआत

2005 में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के 15 वर्ष पुराने शासन को खत्म करते हुए जोरदार वापसी की और बिहार में विकास और सुशासन के नए अध्याय की शुरुआत की। अगले लगभग दस वर्षों तक वे बिना किसी गंभीर चुनौती के सत्ता में बने रहे।

2013 - भाजपा से दूरी और राजनीतिक अस्थिरता

2013 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, जिसके विरोध में नीतीश कुमार ने एनडीए (NDA - National Democratic Alliance) से रिश्ता तोड़ दिया। यह निर्णय जेडीयू के लिए राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।

2015-2017 - महागठबंधन का गठन

2015 में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और भाजपा को हराकर सत्ता में लौट आए। लेकिन रिश्ता ज्यादा समय नहीं चला और 2017 में नीतीश फिर एनडीए में वापस लौट आए।

2022-2024 - फिर बदलाव और फिर वापसी

2022 में भाजपा पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़कर महागठबंधन में वापसी की, लेकिन यह अध्याय भी दो साल से अधिक नहीं टिक सका। 2024 के आम चुनावों से पहले वे एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गए।

2025 - रिकॉर्ड जीत और एक बार फिर मुख्यमंत्री

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