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पांच वर्षों की अविराम साधना से खड़ा हुआ सनातन का शिखर, 1400 करोड़ की लागत से बना रामलला का आशियानाThe pinnacle of Sanatan was built after five years of continuous meditation, Ramlala's abode was built at a cost of Rs 1400 crore.

 पांच साल की निरंतर तपस्या, तकनीक और श्रम-साधना के बाद लगभग 1400 करोड़ रुपये की लागत से भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर पूर्णता को प्राप्त कर चुका है। राम मंदिर के शिखर पर मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी केसरिया धर्म ध्वज फहराएंगे। मंदिर निर्माण की यात्रा आसान नहीं रही। भूमि पूजन पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही किया था और उस शुभ क्षण से लेकर आज तक निर्माण एक भी दिन नहीं रुका।बारिश, ठंड, कोरोना महामारी और तकनीकी चुनौतियां… सब आईं, पर न अविरल श्रम रुका, न ही विश्वास डिगा। निर्माण के दौरान कई बार धरातलीय बाधाएं सामने आईं। मंदिर की नींव के लिए जब प्रारंभिक टेस्ट पाइलिंग की गई, तो वह तकनीकी रूप से विफल सिद्ध हुई। 


इंजीनियरों ने पाइलिंग किए गए खंभों पर जब भूकंप जैसे झटके दिए तो खंभों में दरार आ गई। इसके चलते इंजीनियरों को पूरी नींव की डिजाइन फिर से बनानी पड़ी। इसमें छह महीने लग गए। नई नींव में आरसीसी (रोलर कंपैक्ट कंक्रीट) का उपयोग किया गया। नींव इस तरह तैयार की गई है कि यह हजारों वर्षों तक बिना क्षति के टिक सके।खोदाई के दौरान गहराई में मिली पुरातात्विक परतें, पत्थर संरचना के लिए उच्च गुणवत्ता वाले शिलाखंडों की उपलब्धता...लेकिन हर चुनौती का समाधान अदम्य संकल्प के साथ निकला। भूमि पूजन के बाद शुरु हुए कार्य में देशभर के चार हजार से अधिक शिल्पियों, इंजीनियरों, कारीगरों और श्रमिकों ने योगदान दिया।

दिन-रात मंदिर परिसर में चल रही हलचल, यंत्रों की गूंज और मंत्रोच्चारों की पवित्र ध्वनि ने निर्माण को साधना में बदल दिया। कोरोना काल में भी, जब दुनिया थम गई थी, श्रीराम मंदिर का कार्य केवल नियमों के अनुरूप सीमित हुआ, रुका नहीं।

तकनीक और परंपरा का अनूठा संगममंदिर निर्माण में देश की कई विशेषज्ञ एजेंसियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईआईटी चेन्नई, आईआईटी रुड़की, आईआईटी मुंबई, इसरो, इंडिया इंजीनियर्स लिमिटेड के विशेषज्ञों से लेकर टाटा और एलएंडटी जैसी अग्रणी निर्माण कंपनियों की मंदिर निर्माण में सहभागिता रही। तकनीकी दलों ने मंदिर को भूकंपरोधी बनाने, दीर्घायु सुनिश्चित करने और शिल्प की मौलिकता बनाए रखने में सहयोग दिया।

तकनीकी विशेषताएं और निर्माण शैलीमंदिर नागर शैली में बना है, जो प्राचीन भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्ट मिसाल है। इसका निर्माण बिना लोहे और स्टील के बिना किया गया है, ताकि संरचना की आयु लंबी रहे। मंदिर की कुल लंबाई 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। इसमें 5 मंडप, 3 तल, और 392 खंभे हैं। प्रत्येक खंभे पर देव प्रतिमाओं की नक्काशी की गई है।

राम मंदिर निर्माण के प्रमुख पड़ाव- नौ नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के हक में फैसला- 25 मार्च 2020 की सुबह टेंट से अस्थायी मंदिर में विराजे रामलला- पांच अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन- 22 जनवरी 2024 को भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा- 14 अप्रैल 2025 को मुख्य शिखर पर कलश की स्थापना- पांच जून 2025 को प्रथम तल पर राम दरबार की स्थापना

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