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कसूरवार कौन अकील, नशा या पुलिस ?Who is guilty, Aqeel, drugs or the police?

                       0 रवि उपाध्याय 


इंदौर में ऑस्ट्रेलिया की दो महिला क्रिकेटरों के साथ घटी छेड़खानी की शर्मनाक घटना ने देश, मध्यप्रदेश और इंदौर को पूरी दुनिया में शर्मसार किया है। यह महिला क्रिकेटर ऑस्ट्रेलिया महिला टीम के साथ इंदौर में शनिवार 25 अक्टूबर को दक्षिण अफ्रीका के साथ खेले गए विश्वकप मैच के लिए इंदौर आईं थीं। यह घटना 23 अक्टूबर गुरुवार को उस समय हुई जब महिला क्रिकेटर अपने होटल रेडिसन से कुछ दूर पर स्थित रेस्तरां पर कॉफी पीने के लिए जा रहीं थीं। पुलिस ने जानकारी मिलते ही घटना स्थल से 5 किमी तक के सीसी टीवी को खंगाल कर घटना के अगले दिन आरोपी अकील उर्फ नाइट्रा को धर दबोचा।


उक्त घटना की क्रिकेट एसोसिएशन के ओहदेदारों, नेताओं ने निंदा कर आरोपी को कड़ी सजा दिलाए जाने की बात कही। इस घटना ने सारे देश को हिला कर रख दिया। पुलिस का कहना है कि शोहदे अकील उर्फ नाइट्रा पर चोरी, लूट 

मारपीट सहित आदि कई मामलों के दस आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह 5 माह तक जेल में रहने के बाद कुछ दिनों पहले ही छूटा था।


इस मामले में अभी तक अकील मियां के पिता- माता या अन्य परिजनों के बयान सामने नहीं आए हैं।अभी तक उसे किसी ने भी अपने बयान में अकील को भटका हुआ युवक या मानसिक रूप अस्वस्थ और मासूम नहीं बताया है। वरना अधिकांश मामलों में आरोपी के परिजनों और दूसरे पक्ष के वोटों के ठेकेदार नेताओं के ऐसे बयान आना एक परंपरा रही है। ऐसे लोगों को मासूम और विक्टिम बता कर पेश किया जाता रहा है। 


इस मामले में सबसे दुखद पहलू यह है कि इंदौर के एक पुराने अखबार नेअपने समाचार में उक्त घटना के लिए पुलिस की चूक को जिम्मेदार ठहराया है। इस समाचार यह भी बताया गया है कि आरोपी नशा करता था। गोया घटना के लिए पुलिस की कथित लापरवाही के साथ नशा भी दोषी है। इस सिलसिले में अखबार ने एडिशनल कमिश्नर पुलिस क्राइम से भी बात की। उन्होंने कहा कि कथित पुलिस चूक की समीक्षा की जा रही है।


पुलिस ने इस मामले में आरोपी को ढूंढ निकालने जितनी तत्परता दिखाई है वह काबिल ए तारीफ है। काश इतनी ही तत्परता और सजगता इंदौर की बेटियों के लिए भी उठा सके। इंदौर में बेटियों से छेड़ छाड़ की यह कोई पहली घटना नहीं होगी। दोनों घटना में फ़र्क इतना है कि ऑस्ट्रेलिया की बेटियों ने इसे गंभीरता से लिया। जबकि हमारी बेटियां इस तरह की घटना का तीव्र प्रतिरोध नहीं कर पातीं हैं और र ही पुलिस इन घटनाओं को उतनी गंभीरता से ले पाती है। वे बदनामी के डर से खून का घूंट पी कर रह जातीं हैं । वे बदनामी के डर और पुलिस के व्यवहार से छेड़ छाड़ की घटनाओं की रिपोर्ट करने से भी पीछे हट जाती हैं। इससे छेड़छाड़ करने वाले शोहदों के हौंसले बढ़ जाते हैं ।

यह देखा गया कि बेटियों और महिलाओं से ' छेड़छाड़ और गले से चैन छीनने की घटनाएं आपराधिक प्रवृति के एक विशेष वर्ग के युवा करते हैं। इन्हें अपने समाज का एक तरह से मौन समर्थन मिलता है। जब ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जाती है तो उन्हें भटके हुए और मानसिक रूप अस्वस्थ बताया जाने लगता है।  


रही बात बेटियों की तो उन्हें ऑस्ट्रेलिया की इन महिला क्रिकेटरों से सीख लेना चाहिए कि वे किसी भी हालत में यह छेड़छाड़ जैसा यह अपराध का मुंह तोड़ जवाब दें। क्योंकि इस तरह की घटनाएं दुष्कर्म और अपहरण का रूप ले लेती हैं जिससे शहर की फिज़ा बिगड़ती है। पुलिस को भी बिना भेदभाव और सियासी हस्तक्षेप की परवाह किए उत्तर प्रदेश की तरह सख्त कार्यवाही करनी चाहिए


                      

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