अमेरिकी टैरिफ भी दिवाली से पहले बाजार की रौनक कम नहीं कर सका। अब सभी स्वदेशी उत्पाद खरीदने की ठान लें, तो सोने पर सुहागा होगा।
इस समय देश के त्योहारी बाजार स्वदेशी उत्पादों के साथ उत्साह और अभूतपूर्व खरीदी की रौनक से सराबोर हैं। ये बाजार मिट्टी के दीयों, देवी लक्ष्मी की मूर्तियों, पूजा के सामान, घर की सजावट के हल्पशिल्प के सामान, रंग-बिरंगी झालरों, शुभ-लाभ पट्टिकाओं और ओम जैसे सौभाग्य के प्रतीक सामानों से सुसज्जित दिखाई दे रहे हैं। इस बार गांवों और शहरों के बाजारों में बड़ी संख्या में व्यापारियों और दुकानदारों के द्वारा स्थानीय स्वदेशी सामानों को प्राथमिकता से बेचा जा रहा है।
पिछले दो महीनों में रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, नवदुर्गा और दशहरा के त्योहारी बाजारों में भी स्वदेशी राखियां, कृष्ण, गणपति, मां दुर्गा की मूर्तियां और रावण के स्वदेशी पुतलों की धूम रही। अब वह समय बीता हुआ दिखाई दे रहा है, जब त्योहार के सीजन में देश के बाजारों में दुकानें केवल सस्ते और आकर्षक चीनी सामानों से भर जाती थीं। इस बार पारंपरिक बाजारों से लेकर आधुनिक मॉल तक हर जगह स्थानीय और स्वदेशी उत्पाद खरीदने के लिए उपभोक्ताओं का उत्साह चरम पर है।गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार यह भी कहा है कि त्योहारों पर हम ऐसे ही उत्पाद खरीदें, जिनमें देशवासियों के पसीने की महक हो, देश के युवाओं का टैलेंट हो। इन बातों का त्योहारी बाजार पर असर दिखाई दे रहा है। इस बार दीवाली के त्योहारी बाजार में अभूतपूर्व खरीदी का भी परिदृश्य दिखाई दे रहा है। इसके तीन बड़े कारण हैं। एक, इस वर्ष 22 सितंबर से जीएसटी सुधारों के लागू होने से लगभग सभी उपभोक्ता उत्पादों की कीमतें घट गई हैं। दो, महंगाई दर घटी हुई है और तीन, कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है और ग्रामीणों की क्रयशक्ति बढ़ी हुई है।निस्संदेह जीएसटी में सरलता और नए जीएसटी ढांचे के रोडमैप के तहत जीएसटी के चार टैक्स स्लैब में बदलाव करते हुए इन्हें घटाकर पांच फीसदी और 18 फीसदी स्लैब में बदलाव ने त्योहारी बाजार को नई ऊर्जा दी हैं। जीएसटी दरों में नए बदलाव से वर्तमान में 12 फीसदी जीएसटी वाली लगभग 99 फीसदी वस्तुएं अब पांच फीसदी के स्लैब में आ गई हैं, जबकि 28 फीसदी टैक्स वाली लगभग 90 फीसदी वस्तुएं 18 फीसदी के स्लैब में आ गई हैं।नए जीएसटी सुधारों के कारण देश के लोगों के पास लगभग दो लाख करोड़ रुपये बचने के कारण इस त्योहार के सीजन में घरेलू खर्च और खपत बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। खास तौर से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लगभग सभी पदार्थों पर जीएसटी दरों में कमी होने से खाद्य प्रसंस्करण और संबद्ध उद्योगों की बिक्री बढ़ गई है।यह बात भी महत्वपूर्ण है कि त्योहारी बाजार में दोपहिया वाहनों, कारों, और ट्रैक्टरों पर कम जीएसटी से मांग बढ़ गई है। चाहे आम आदमी के इस्तेमाल की चीज हों, चाहे वे किसानों से जुड़ी वस्तुएं हों, चाहे वे मध्यम वर्ग से संबंधित वस्तुएं हों, प्रत्येक क्षेत्र में एमएसएमई को दी गई बड़ी जीएसटी राहत से त्योहारी बाजार को रफ्तार मिली है।
जीएसटी की दरों में भारी कमी के साथ महंगाई दर में पिछले छह महीनों से लगातार कमी आई है और इस समय अक्तूबर में यह एक फीसदी के आसपास स्तर पर ही दिखाई दे रही है। इस वर्ष खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है और मानसून ने भी खुशहाली दी है। इन सब से भी त्योहारी बाजार को ऊंचाई मिलती हुई दिख रही है।निश्चित रूप से दिवाली के बाजार को जीएसटी दरों और महंगाई दर के घटने से उछाल मिला है। इस परिप्रेक्ष्य में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट उल्लेखनीय है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार दिवाली का बाजार जहां करोड़ों लोगों के द्वारा स्वदेशी और वोकल फॉर लोकल की संकल्प शक्ति के साथ आत्मनिर्भर भारत की डगर पर दिखाई दे रहा है, वहीं इस वर्ष 2025 में देश के बाजारों में खरीदारों की भीड़ उमड़ने और घरेलू खपत चरम पर रहने की संभावना है।
वर्ष 2023 में दिवाली के त्योहारी बाजार में 3.75 लाख करोड़ रुपये और वर्ष 2024 में 4.25 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी हुई थी, वहीं इस बार त्योहारी सीजन के तहत खरीदारी 4.75 लाख करोड़ रुपये के अभूतपूर्व स्तर को छूते हुए दिखाई दे सकती है। हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के मंत्र से प्रेरणा लेते हुए देशवासी स्वदेशी और स्थानीय उत्पादों के उपयोग को जीवन का मूलमंत्र बनाएंगे। स्वदेशी और स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन दिए जाने से देश में कुटीर और ग्रामीण उद्योगों तथा हस्तशिल्प को बढ़ावा मिलेगा और देश आत्मनिर्भरता की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाई देगा।

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