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सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, जानें क्या कहा Supreme Court issues notice to Centre in Sonam Wangchuk's arrest case, find out what it said


सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत उनकी नजरबंदी के खिलाफ और उनकी रिहाई की मांग वाली याचिका सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, जोधपुर सेंट्रल जेल के एसपी को नोटिस जारी किया।



नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत उनकी नजरबंदी के खिलाफ और उनकी रिहाई की मांग वाली याचिका पर केंद्र, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, जोधपुर सेंट्रल जेल के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया है। पत्नी गीतांजलि आंग्मो ने 2 अक्टूबर को यह याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी राजनीतिक कारणों से की गई है। साथ ही, गिरफ्तारी से उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। याचिका में उनकी तुरंत रिहाई की मांग की गई है।

जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद सरकार से जवाब मांगा। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वांगचुक के वकील से यह भी पूछा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। इस पर गीतांजलि आंग्मो की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा: कौन सा हाईकोर्ट? सिब्बल ने कहा कि याचिका में हिरासत की आलोचना की गई है। उन्होंने कहा कि हम हिरासत के खिलाफ हैं। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वांगचुक को हिरासत के आधार बताए गए हैं।

14 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी है। सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंग्मो की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि हिरासत के आधार परिवार को नहीं बताए गए हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हिरासत के आधार पहले ही बंदी को सौंपे जा चुके हैं, और वह उनकी पत्नी को आधार की एक प्रति दिए जाने की जांच करेंगे।

26 सितंबर को हुई थी गिरफ्तारी

वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख से गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वे जोधपुर की एक जेल में बंद हैं। यह गिरफ्तारी लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के बाद की गई थी। इसके बाद अंगमो ने अपनी हिरासत को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया। अंगमो ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 3(2) के तहत उनके पति की निवारक हिरासत अवैध थी।याचिका के अनुसार, वांगचुक की हिरासत वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़ी नहीं थी, बल्कि लोकतांत्रिक और पारिस्थितिक मुद्दों की वकालत करने वाले एक सम्मानित पर्यावरणविद् और समाज सुधारक को चुप कराने के इरादे से की गई थी।

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