खौफ का दूसरा नाम था 'कग्गा', डर और आतंक ऐसा कि दिन में ही लटकने लगते थे पुलिस थानों में ताले..यहां जानें पूरी कहानी शाम होते ही थानों में ताले लगा दिए जाते थे. पुलिस वालों की हत्या कर थाने से हथियार लूटना, सरेआम गाड़ियों को हाइजैक कर लूट लेना. ये कग्गा गैंग का खौफ फैलाने का पैटर्न था।
यूपी, दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड समेत 4 राज्यों में कग्गा गैंग की दहशत फिल्म शोले के गब्बर जैसी रही है. शाम होते ही थानों में ताले लगा दिए जाते थे. पुलिस वालों की हत्या कर थाने से हथियार लूटना, सरेआम गाड़ियों को हाइजैक कर लूट लेना. ये कग्गा गैंग का खौफ फैलाने का पैटर्न था. कग्गा गैंग के खौफ से सहारनपुर जनपद की कई चौकियों पर शाम 4:00 बजे ही ताला लग जाता था और पुलिस कर्मी चौकी को बंद कर थाने में चले जाते थे.
कई पुलिस कर्मियों को उतारा था मौत के घाट
मुस्तफ़ा उर्फ कग्गा 2009 में सक्रिय हुआ था, उसके बाद उसने ताबड़तोड़ वारदात कर पुलिस को चुनौती दी, यहां तक की कई पुलिस कर्मियों की हत्या भी की, गांव के कई युवाओं की जिंदगी बर्बाद की उन्हें लालच देकर अपराध की दलदल में उतारा, किताबें थामने की उम्र में उसने युवाओं के हाथों में तमंचे पकड़ा दिए और मोटे पैसे और नाम कमाने के सपने दिखाकर उन्हें अपने गिरोह में शामिल किया
*पलक झपकते ही कौवा पकड़ने में था माहिर, नाम पड़ा था कग्गा*
साल 2011 में मुस्तफ़ा उर्फ कग्गा भले ही एनकाउंटर में मारा गया हो लेकिन उसके कुछ कारनामे ऐसे हैं जिसकी अक्सर चर्चाएं होती है. मुस्तफा कौवा पकड़ने में माहिर था वह झपट्टा मारते ही कौवे को पकड़ लिया करता था और उसके बाद उसके पैर में घुंघरू बांध देता था. पहली बार एक पड़ोसन के कहने पर उसने कौवे को पकड़ा था, इसलिए मुस्तफा का नाम कग्गा पड़ गया और अपराध की दुनिया में उतरने के बाद गैंग का नाम भी कग्गा गैंग के नाम से जाना जाने लगा. वह कभी शूटिंग रेंज में नहीं गया, लेकिन उसका निशाना अचूक था. मुस्तफा दसवीं फेल था जैसे ही उसने किशोर अवस्था में कदम रखा तो उसकी राह बदल गई और अपराध की तरफ बढ़ता चला गया.
दिनदहाड़े पुलिस के सामने देता था घटनाओं को अंजाम
सूत्रो ने बताया कि 2017 से पहले की हालत गंगोह क्षेत्र की बहुत बुरी थी, हमारे यहां पर एक घलापड़ा चौकी है. कहा जाता है कि जब तक कग्गा जीवित रहा तब तक उस पुलिस चौकी को लगभग बंद ही रखा गया. गंगोह क्षेत्र में कग्गा का पूरे तरीके से दबदबा था यहां तक कि थानों के गेट भी बंद होने की कगार पर थे, लेकिन 2017 जब से सरकार बदली उसके बाद धीरे-धीरे सब बदमाशों का आतंक खत्म होने लगा.कग्गा गैंग किसी को भी लूट लिया करता था यहां तक की कई बार पुलिस से उनका आमना सामना भी हुआ. उन्होंने पुलिस के हथियार तक लूटने का प्रयास किया. बताया जाता है कि कई पुलिस वालों को भी उसने मौत के घाट उतारा, लेकिन जब से सरकार पलटी है तब से बहुत ज्यादा राहत हो गई.
मुस्तफा उर्फ कग्गा की मौत का कारण बनी थी प्रेमिका
वरिष्ठ पत्रकार रोशन लाल सैनी ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि थाना गंगोह इलाके में बाढ़ी माजरा गांव है. उसमें मुस्तफा नाम का एक युवक था और वह बहुत कम उम्र में उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा था, जिसका नाम बाद में कग्गा पड़ गया और उसी के नाम से बाद में कग्गा का गैंग प्रसिद्ध भी हुआ. 2009 में मुस्तफा उर्फ कग्गा ने पहली लूट की घटना को अंजाम दिया था तब वह लगभग 16 साल का था.उसके बाद उसका आतंक इस तरीके से फैला कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका एक तरफा आतंक देखने को मिला. उस समय समाजवादी पार्टी की सरकार थी और उस समय वह थाने के सामने अपनी गाड़ी लगा करके लोगों से लूटपाट किया करता था. मुस्तफा उर्फ कग्गा की एक प्रेमिका भी थी जो कि उसकी मौत का कारण बनी थी. उसकी सूचना के बाद ही पुलिस ने शामली के जंगलों में मुस्तफा उर्फ कग्गा

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