यंग थिंकर्स कॉन्फ्लुएंस के दूसरे दिन कई प्रख्यात चिंतकों ने विचार साझा किए,
यंग थिंकर्स कन्फ्लुएंस 2025 के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में सेंटर फॉर इंडिक स्टडीज़ के निर्देशक व लेखक डॉ. राम शर्मा ने कहा कि भारत में परिवार और समाज का संबंध भावनात्मक एवं मूल्य आधारित रहा है, जबकि पश्चिमी समाजों में यह उपभोक्तावादी दृष्टिकोण से प्रभावित हुआ है। संस्कृति ही परिवार व्यवस्था का मूल है, जिस पर आज मार्क्सवादी शक्तियां सतत रूप से प्रहार कर रही हैं। इसी सत्र में वरिष्ठ अधिवक्ता एम. आर. वेंकटेश ने कहा कि पश्चिमी समाजों में पारिवारिक विघटन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के चरम रूपों के कारण सामाजिक असंतुलन और अपराध दरों में वृद्धि देखी जा रही है। पारिवारिक विहीनता के कारण सामाजिक अपराध बढ़े हैं। जब परिवार कमजोर पड़ता है, तो समाज और राज्य दोनों प्रभावित होते हैं।
द्वितीय सत्र में प्रतिष्ठित लेखक एवं संपादक अनुराग शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में बच्चों की परवरिश एवं शिक्षा पर बाहरी प्रभाव तेजी से बढ़ रहे हैं। मार्क्सवाद, वोकिज्म और अतिवादी नारीवाद पारिवारिक मूल्यों को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा, मनोरंजन और सोशल मीडिया के ज़रिए बच्चों के विचार बदले जा रहे हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों में भारतीय संस्कार, नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों की जड़ें मज़बूत करें।
वहीं अमृतांशु पांडे ने बताया कि भारत का असली इतिहास हमारी परंपराओं और सांस्कृतिक चेतना में जीवित है, न कि केवल पुस्तकों में। उन्होंने बताया कि हमारे पुराण और ग्रंथ हमारी सभ्यता की निरंतरता का प्रमाण हैं। उनकी पुस्तक भारत की भूली कहानियों को उजागर करने का प्रयास है, जो हमारी सांस्कृतिक गहराई और मूल्यों से जुड़ी हैं।
इसके उपरांत चतुर्थ सत्र में प्रतिष्ठित लेखक अंकुर कक्कर ने कहा कि भारत हमेशा से ज्ञान और शिक्षा की भूमि रहा है। यहां की गुरुकुल परंपरा ने न केवल विद्या, बल्कि संस्कार भी सिखाए। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति और अंग्रेजी भाषा का संतुलन आज की शिक्षा व्यवस्था के लिए आवश्यक है। हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहकर ही आधुनिक ज्ञान को सही दिशा देनी चाहिए।
ज्ञान की शक्ति से ही भारत ने की प्रगति : प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति ने सदियों की प्रताड़ना झेली है, फिर भी ज्ञान और संस्कृति की शक्ति से भारत आगे बढ़ा है। साथ ही उन्होंने कहा कि विश्व की समस्त सभ्यताओं में सदैव बहुसंख्यक समाज ने अल्पसंख्यक पर अत्याचार किए हैं किंतु भारत ऐसा एकमात्र देश है जिसमें अल्पसंख्यक समाज ने सदियों से बहुसंख्यक समाज पर अत्याचार व नरसंहार किए हैं। उन्होंने पिछले एक हज़ार वर्ष से हिंदू समाज पर हुए अत्याचारों का डॉक्यूमेंटेशन करने पर भी विशेष ज़ोर दिया।
कनफ्लुएंस में 26 राज्यों सहित पड़ोसी देशों से लगभग 400 चयनित प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। पुस्तक प्रेमियों हेतु पुस्तकों के स्टॉल्स एवं नरसंहार के दस्तावेजीकरण की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
गौरतलब है कि आयोजक संस्था यंग थिंकर्स फोरम की शुरुआत 2018 में राजधानी भोपाल से हुई। इसका उद्देश्य युवाओं के बीच वैचारिक संवाद स्थापित कर सही दिशा प्रदान करना है। यह समय-समय पर वायटीएफ वार्ता, पुस्तक चर्चा, हेरिटेज वॉक इत्यादि आयोजित करता है। यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव की श्रृंखला में यह 7 वाँ संस्करण है।

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