नेचर माइक्रोबायोलॉजी में पब्लिश हुई इस रिसर्च को ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी और हडसन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (HIMR) ने लीड किया था. शुक्रवार 24 अक्टूबर को मोनाश यूनिवर्सिटी ने इसे पब्लिश किया. इस स्टडी में बताया गया कि इंसान की आंत में हाइड्रोजन कैसे बनता है और इस्तेमाल होता है, और ये भी जांचा गया कि माइक्रोब्स इसके लेवल को कैसे कंट्रोल करते हैं.
पेट में कब बना है हाइड्रोजन?हाइड्रोजन तब बनता है जब आंत के माइक्रोब्स बिना पचे कार्बोहाइड्रेट को फर्मेंट करते हैं. हालांकि गैस का एक हिस्सा बाहर निकल जाता है, लेकिन इसके ज्यादातर हिस्से को दूसरा बैक्टीरिया दोबारा इस्तेमाल कर लेता है, जिससे डाइजेशन में मदद मिलती है और एक हेल्दी गट माइक्रोबायोम को सपोर्ट मिलता है. ये नतीजे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के लिए नए माइक्रोबायोम-बेस्ड इलाज डेवलप करने में मदद कर सकते
गैस के जरिए निकला है हाइड्रोजनइस स्टडी की फर्स्ट ऑथर और मोनाश यूनिवर्सिटी और एचआईएमआर में पोस्टडॉक्टोरल साइंटिस्ट कैटलिन वेल्श ने कहा कि ज्यादातर लोग हर दिन लगभग एक लीटर गैस निकालते हैं, जिसमें से आधा हाइड्रोजन होता है. उन्होंने आगे कहा कि हाइड्रोजन सिर्फ पेट फूलने के लिए जिम्मेदार गैस से कहीं ज्यादा है; यह पेट की हेल्थ के लिए एक छिपा हुआ जरूरी फैक्टर है.

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