पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने एक बार फिर से 5200 करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया है। इसके बाद प्रदेश के ऊपर कुल कर्ज़ की राशि अब 4.60 लाख करोड़ रुपये हो गई है, जबकि मध्य प्रदेश सरकार का बजट 4.21 लाख करोड़ रुपये है।
उन्होंने बताया कि इस तरह मध्य प्रदेश के वित्तीय हालात ये हैं कि सरकार साल भर में जितनी आय प्राप्त करती है उससे ज़्यादा का कर्ज़ सरकार के पास हो गया है। ग़ौर से देखें तो सरकार के बजट और कर्ज़ के बीच क़रीब 40, हज़ार करोड़ रुपये का अंतर आ चुका है।कई बार तो कर्ज़ का ब्याज चुकाने के लिए भी प्रदेश सरकार को नया कर्ज़ लेना पड़ता है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि प्रदेश की इतनी ख़राब वित्तीय हालत होने के बावजूद भाजपा के नेता अपनी शानोशौकत पर सरकारी पैसा ख़र्च करने में ज़रा भी नहीं हिचक रहे।
कर्ज़ में डूबे प्रदेश के बावजूद सरकार ने एक हवाई जहाज़ ख़रीदने का फ़ैसला किया है। मंत्रियों के बंग्लों की साज सज्जा पर ख़र्च किया जा रहा है और घोषणा करने वाली इवेंटबाज़ी पर भी जमकर पैसा लुटाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इतना भारी कर्ज़ लेने के बावजूद ना तो लाड़ली बहनों को वादे के मुताबिक़ 3 हज़ार रुपया प्रतिमाह दिए जा रहे और न ही किसानों को गेहूं और धान का वह समर्थन मूल्य दिया जा रहा है जिसका वादा भाजपा ने विधानसभा चुनाव में किया था।
बेरोजगारों के लिए नौकरी नहीं है और छात्रों की छात्रवृत्ति का पैसा भी सरकार के पास नहीं है। ज़ाहिर है कि भाजपा सरकार में वित्तीय प्रबंधन पूरी तरह ग़ायब है और मन मर्ज़ी से जनता का पैसा फ़िज़ूलखर्ची में उड़ाया जा रहा है।

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