वित्त मंत्री ने कहा कि 'युद्ध और रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता, सहयोग और संघर्ष को फिर से परिभाषित कर रही हैं। जो गठबंधन कभी मजबूत दिखते थे, उनके लिए परीक्षा का समय है और दुनिया में नए गठबंधन उभर रहे हैं।'
वित्त मंत्री ने कहा कि 'युद्ध और रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता, सहयोग और संघर्ष को फिर से परिभाषित कर रही हैं। जो गठबंधन कभी मजबूत दिखते थे, उनके लिए परीक्षा का समय है और दुनिया में नए गठबंधन उभर रहे हैं।'
भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास इसके घरेलू कारकों पर टिका 'निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि 'भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली है और लगातार बढ़ रही है। वर्षों से सकल घरेलू उत्पाद में उपभोग और निवेश की स्थिर हिस्सेदारी के साथ, भारत का विकास उसके घरेलू कारकों पर टिका हुआ है, जो बाहरी प्रभाव को कम करता है।' सीतारमण ने कहा, 'भारत का उदय न तो आकस्मिक है और न ही क्षणिक; बल्कि, यह कई कारकों के एक मजबूत संयोजन का परिणाम है।'
सामान की कीमतें होंगी कम-
सीतारमण ने कहा कि इस सुधार के बाद सामान की कीमतें कम होंगी, जिससे लोग ज्यादा खरीदारी करेंगे। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई साबुन ज्यादा मात्रा में खरीदता है, तो निर्माता उत्पादन बढ़ाएगा, जिससे रोजगार बढ़ेंगे और सरकार को अधिक टैक्स मिलेगा। यह एक सकारात्मक चक्र है जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा। इस दौरान वित्त मंत्री ने ये भी बताया कि जीएसटी लागू होने से पहले टैक्स देने वाले उद्यमियों की संख्या 65 लाख थी, जो अब बढ़कर 1.5 करोड़ हो गई है।
कांग्रेस की आलोचना पर भी दिया जवाब
इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहकर आलोचना करने की बात पर भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है, बल्कि इसने टैक्स आधार बढ़ाया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले आठ वर्षों में सरकार ने किसी उत्पाद पर ज्यादा टैक्स नहीं लगाया है और अब जो कटौती हो रही है वह सही और लोगों के हित में है। निर्मला सीतारमण का कहना है कि जीएसटी सुधारों से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और गरीब, मध्यम वर्ग व एमएसएमई को राहत मिलेगी।

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