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आर्टिस्ट क्लब ऑफ इंदौर ने सजाई पुराने सदाबहार नग़मों की एक सुरीली शाम Artist Club of Indore organised a melodious evening of old evergreen songs.


आर्टिस्ट क्लब ऑफ इंदौर द्वारा आयोजित बहुप्रतीक्षित संगीत संध्या “अनुगूंज – एक सुहाना सफर यादों का, संगीत निशा” ने सुर, ताल और भावनाओं की ऐसी लहरें बिखेरीं कि पूरा सभागार संगीत के जादू में डूब गया



क्लब की संस्थापक श्रीमती हेमलता कुमार और मुख्य संयोजक भूपेन्द्र सिंह परमार के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम ने शहर के संगीतप्रेमियों को पुराने दौर की मिठास और सुमधुर धुनों से सराबोर कर दिया।

कार्यक्रम का संचालन स्वप्ना तिवारी ने अपने सधे हुए अंदाज़, प्रभावशाली वाणी और जीवंत अभिव्यक्ति से किया। उनकी उम्दा एंकरिंग ने गीतों की कहानियों को भावनाओं से जोड़ते हुए हर प्रस्तुति को खास बना दिया।

संगीत संध्या की शुरुआत पल्लवी सिंह की प्रस्तुति “सत्यम शिवम सुंदरम” से हुई, जिसने वातावरण को भक्ति और सौंदर्य की भावनाओं से भर दिया। इसके बाद एक से बढ़कर एक सदाबहार गीतों की झड़ी लग गई —

अजेता बगदरे ने “तेरा मेरा साथ रहे”, रागिनी जैन ने “तुम ही मेरे मंदिर”, मेघा भट्टड़ ने “बाबूजी धीरे चलना”, अभय बाफना ने “ज़ुबां पे दर्द भरी”, अपूर्व कुमार ने पुराने गानों का मनमोहक मैशअप, और शैलेश गोयल ने “कहीं दूर जब दिन ढल जाए” जैसे गीतों से सभी को भावविभोर कर दिया।

सचिन अग्रवाल की प्रस्तुति “पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले” पर दर्शकों ने तालियों से सभागार गुंजा दिया।

स्वप्ना तिवारी की सरप्राइज़ परफॉर्मेंस ने परदेस में बसे लोगों के दिलों के दर्द को पंजाबी गीत के ज़रिए व्यक्त कर सबका दिल जीत लिया।

डॉ. नरेंद्र कुमार का “ये नयन डरे डरे”, अरविंद पाठक का “सामने ये कौन आया”, भूपेंद्र सिंह का “इक हसीं शाम को” और अभिराज गोयल की बाँसुरी वादन प्रस्तुति ने संगीत की शाम को और निखार दिया।

युगल गीतों “नींद ना मुझको आए”, “लुटे कोई मन का नगर”, “कोरा कागज़ था ये मन मेरा” और “किसी राह में” ने अंत तक दर्शकों को बाँधे रखा।

कार्यक्रम का उद्देश्य नए कलाकारों को मंच प्रदान करना और शहर की प्रतिभाओं को एक साथ जोड़ना रहा — जिसे आर्टिस्ट क्लब ने बखूबी निभाया।

कार्यक्रम का संगीत संयोजन हर्षद शेगांवकर द्वारा किया गया।

संध्या के अंत में परिकल्पनाकार स्वप्ना तिवारी ने सभी कलाकारों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “अनुगूंज जैसे आयोजन संगीत की विरासत को जीवित रखते हैं और कलाकारों को अपनी अभिव्यक्ति का मंच देते हैं।”


यह सचमुच सुरों, संवेदनाओं और स्मृतियों का एक सुंदर संगम रहा — एक ऐसी शाम, जिसे इंदौर देर तक याद रखेगा। 🎵✨

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