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कैसे अदालत के एक ताने से पैदा हुआ बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा नारा, कहानी 'जंगलराज' की How a court taunt gave birth to the biggest slogan in Bihar politics: the story of 'Jungle Raj'


केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा नेता अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि 'मैं कामना करता हूं कि बिहार सदैव 'जंगलराज' से मुक्त रहे।' इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक चुनावी सभा में 'जंगलराज' का जिक्र किया था। राजनीतिक बयानों में बिहार और खासतौर से RJD यानी राष्ट्रीय जनता दल के 15 साल के शासन के साथ इस शब्द को लंबे समय से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन खास बात है कि इसकी शुरुआत किसी नेता के भाषण से नहीं हुई। क्या है इसकी कहानी?



प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने के बाद शुक्रवार को अपनी पहली जनसभा समस्तीपुर में की। इसके बाद उन्होंने बेगूसराय में भी एक जनसभा को संबोधित किया था।

पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक पुरानी टिप्पणी और कांग्रेस के चुनाव चिह्न हाथ का पंजा का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए हुए कहा, 'अगर बिहार में जंगल राज रहता तो यह सब संभव नहीं होता। क्या आपको याद नहीं है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि सरकार द्वारा भेजे गए प्रत्येक रुपये में से केवल 15 पैसे ही लोगों तक पहुंचते हैं। वह पैसा खूनी पंजे द्वारा हड़प लिया जाता था।'


उन्होंने कहा, 'बिहार 'जंगल राज' को दूर रखेगा और सुशासन के लिए वोट देगा। 'नई रफ्तार से चलेगा बिहार, फिर जब आएगी राजग सरकार'। राजद और कांग्रेस घोटालों में लिप्त होते हैं, उनके नेता जमानत पर बाहर हैं और अब वे भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की 'जननायक' की उपाधि चुराने की कोशिश कर रहे हैं।'

उन्होंने कहा कि बिहार आर्यभट्ट जैसी प्रतिभा की भूमि है और यहां के लोग राजद-कांग्रेस गठबंधन पर भरोसा नहीं कर सकते, जिसने कानून के शासन को नष्ट किया था। पीएम मोदी ने आरोप लगाया, ‘जंगल राज से सबसे अधिक पीड़ित हमारी माताएं और बहनें तथा कमजोर वर्ग के लोग थे।’

जंगलराज' शब्द की कहानी

राजनेताओं की तरफ से जंगलराज शब्द उठाए जाने की कहानी दशकों पुरानी है। सबसे पहले इसका इस्तेमाल जुलाई 1997 में जस्टिस वीपी सिंह और जस्टिस धर्मपाल सिन्हा की पटना हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने किया था। उस दौरान अदालत में सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा सहाय की तरफ से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई चल रही थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तब जजों ने मौखिक रूप से कहा था, 'यह जंगलराज से भी बुरा है और इसमें अदालत के निर्देशों और जनहित के प्रति कोई सम्मान नहीं है।' सहाय ने पटना में जलभराव और जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।

अब खास बात है कि अदालत की इस टिप्पणी के एक महीने पहले ही चारा घोटले में फंसने के बाद लालू प्रसाद यादव ने इस्तीफा दे दिया था और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनी थीं। अदालत की टिप्पणी के बाद से ही जंगलराज के जिक्र को राजद के शासन से जोड़कर देखा जाने लगा। कहा जाता है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता दिवंगत सुशील कुमार मोदी ने बार-बार इस्तेमाल कर जंगलराज शब्द को चर्चा में ला दिया था।

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