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1800 किमी तक छापामारी के बाद सात साइबर ठग गिरफ्तार, अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़े सेंधमारों के तार Seven cyber fraudsters arrested after 1,800 km raids, string of suspects linked to transnational gang

 

निवेश के नाम पर ठगी करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का उत्तरी जिला के साइबर थाना पुलिस ने खुलासा किया है। पुलिस ने करीब 9 दिन 1800 किलोमीटर चली लंबी छापेमारी के बाद दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के अलग-अलग शहरों से कुल सात आरोपियों को दबोचा है। आरोपी फर्जी कंपनी बनाकर बैंक खाते खोलते थे। बाद में इन खातों का संचालन मलेशिया, चीन, दुबई समेत दूसरे देशों में बैठे लोगों को सौंप दिया जाता था। आरोपी 2 से 10 फीसदी कमीशन लेकर बाकी की रकम विदेश में बैठे साइबर ठगों को ट्रांसफर कर देते थे।



पुलिस ने आरोपियों के पास से 10 मोबाइल फोन, 14 सिमकार्ड, 17 डेबिट कार्ड, 1 लैपटॉप, 3 पैनकार्ड, 5 चेकबुक और भारी मात्रा में अन्य सामान बरामद किया है। पकड़े गए आरोपियों की पहचान दिल्ली निवासी अतुल कुमार, गौसरपुर-मोहम्मदाबाद, फर्रुखाबाद, यूपी निवासी प्रशांत सिंह, बिहार निवासी भावेश कुमार खान, झुनझुनू, राजस्थान निवासी सुमित झाझरिया, योगेश कुमार, जयपुर, राजस्थान निवासी गौरव और अलवर राजस्थान निवासी विवेक कुमार सत्तावान के रूप में हुई है।

फिलहाल इनकी गिरफ्तारी से एनसीआरपी पोर्टल पर दर्ज 46 शिकायतें लिंक हुई है। छानबीन के दौरान पता चला है कि इनके पास मौजूद बैंक खातों से आरोपियों ने करोड़ों रुपये की रकम ठगकर विदेश भेज दी है। इनके बैंक खातों में पुलिस ने 8.58 लाख रुपये की रकम फ्रीज की है। पुलिस पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर से ठगे 22 लाख रुपये...उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त राजा बांठिया ने बताया कि बुराड़ी निवासी मुकेश कुमार नामक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने 22 लाख रुपये साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित ने बताया कि उसने अप्रैल माह में फेसबुक पर निवेश का एक विज्ञापन देखा था। मुकेश ने उसमें रुचि दिखाई और निवेश के लिए छानबीन शुरू की।पीड़ित को बताया कि उनकी कंपनी सेबी से रजिस्टर्ड है। इसके बाद पीड़ित को एक व्हाट्सएप ग्रुप पर जोड़ दिया गया। यहां पहले से कई लोग निवेश पर मुनाफे के स्क्रीन शॉट शेयर कर रहे थे। पीड़ित ने भी आरोपियों के बताए तरीके से धीरे-धीरे 22 लाख रुपये निवेश कर दिए। बाद में उसे ठगी का पता चला तो शिकायत दी गई।विदेशियों से मिला आरोपियों का लिंक...साइबर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर छानबीन शुरू की। व्हाट्सएप, गूगल, आईपी लॉग्स, रजिस्टर्ड ईमेल एड्रेस और करीब 200 से अधिक मोबाइल नंबरों की सीडीआर खंगाली गई। छानबीन में व्हाट्सएप मलेशिया में एक्टिव मिला।

 काफी लंबी पड़ताल के बाद पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस के आधार पर कई लोगों की पहचान की।6 अक्तूबर को पुलिस की टीम ने दिल्ली, गाजियाबाद और गुरुग्राम में छापेमारी कर अतुल कुमार और प्रशांत सिंह को दबोच लिया। बाद में इनसे पूछताछ के बाद भावेश कुमार खान को भी गिरफ्तार कर लिया। भावेश एमबीए पास है। अतुल व प्रशांत फर्जी कंपनी बनाकर उनके नाम से बैंक खाते खोलते थे। बाद में इनको भावेश को सौंप दिया जाता था।भावेश भी किसी अमन नामक ठग को बैंक खाते दे दिया करता था। 9 अक्तूबर को टीम ने सुमित और योगेश कुमार को राजस्थान से दबोचा, वहीं बाद में 14 अक्तूबर को गौरव और विवेक कुमार को राजस्थान के अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि इनको 2 फीसदी से 10 फीसदी तक कमीशन मिलता था।

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