भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का अंतिम दिन, 5 दिसंबर, उस समय चर्चा का बड़ा विषय बन गया जब सदन में वह दृश्य दिखाई दिया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। आमतौर पर सदन के भीतर और बाहर प्रदर्शन की भूमिका विपक्ष की होती है, लेकिन इस बार समीकरण पूरी तरह उलट गए। सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस नहीं, बल्कि सत्ता पक्ष के विधायक गांधी प्रतिमा के सामने नारे लगाते हुए दिखाई दिए। यह घटना न केवल सदन परिसर में मौजूद लोगों को चौंकाने वाली थी, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी इसके मायने तलाशे जाने लगे। सुबह कार्यवाही शुरू होने से पहले भारतीय जनता पार्टी के कई विधायक पोस्टर लेकर गांधी प्रतिमा के पास पहुंचे और जोरदार नारेबाज़ी की। उनके पोस्टरों पर ‘विकास किया है, विकास करेंगे’ जैसे संदेश लिखे थे। यह नारे इस बात का संकेत थे कि सत्ता पक्ष अपने काम और उपलब्धियों को लेकर फ्रंट-फुट पर आना चाहता है और विपक्ष के आरोपों तथा आलोचनाओं का जवाब आक्रामक तरीके से देना चाह रहा है।
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा इस दौरान सबसे आगे नज़र आए। उन्होंने मीडिया से कहा कि भाजपा सरकार ने जितना विकास किया है, वही जनता को दिखाया जा रहा है। उनका कहना था कि विपक्ष सिर्फ आरोप लगाता है, जबकि सत्ता पक्ष अपने काम को साबित करके दिखा रहा है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जब उनके पास बताने लायक कोई उपलब्धि नहीं होती, तो वे विषयों को भटकाने का प्रयास करते हैं।
दूसरी ओर, सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद कुल 21 ध्यानाकर्षण सूचनाएं आईं, जिन पर चर्चा की गई। सत्र का अंतिम दिन होने के कारण सदन का माहौल पहले से ही गंभीर था, लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से देखे गए इस असामान्य प्रदर्शन ने राजनीतिक तापमान को और बढ़ा दिया।
सामान्यतः विधानसभा में विपक्ष ही सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रदर्शन और नारेबाज़ी करता है, लेकिन इस बार भूमिकाओं का यह उलटफेर कई सवालों को जन्म देता है। क्या यह विपक्ष की कमी पर तंज था, या सरकार का अपनी उपलब्धियां जनता के सामने ज़ोरदार ढंग से पेश करने का नया तरीका? इसके पीछे की वजह चाहे जो हो, लेकिन शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन निश्चित रूप से यादगार बन गया है।
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