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शराब के धंधे में अकूत कमाई पहली बार नहीं, मंदाकिनी दीक्षित के पहले भदौरिया, खरे और चंद्रावत भी घिर चुकेThis is not the first time that Mandakini Dixit has been accused of making huge profits in the liquor business. Before her, Bhadauria, Khare and Chandrawat have also been involved.

 आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों में एक नया नाम सामने आया है। मंदाकिनी दीक्षित पर रिश्वत लेने का आरोप है। इससे पहले धर्मेंद्र सिंह भदौरिया समेत अन्य अधिकारी भी घिर चुके हैं। 


देवास की प्रभारी सहायक आबकारी आयुक्त मंदाकिनी दीक्षित पर 7.5 लाख की रिश्वत का आरोप है। उन्हें एक ठेकेदार से रिश्वत लेने के आरोप के बाद सस्पेंड कर दिया गया है। आबकारी विभाग में अधिकारियों की अकूत कमाई का यह पहला मामला और आरोप नहीं है।हाल ही में रिटायर जिला आबकारी अधिकारी धर्मेंद्र सिंह भदौरिया की 29 करोड़ की संपत्ति का खुलासा हुआ था। इसमें 10 करोड़ से ज्यादा कीमत का सोना शामिल था। यह मामला लोकायुक्त इंदौर ने उजागर किया था।

शराब माफिया का ......गंदा है पर धंधा है?

यह सारे अधिकारी भी घिर चुके हैं

अलीराजपुर से रिटायर्ड जिला आबकारी अधिकारी धर्मेंद्र सिंह भदौरिया से पहले, इंदौर में सहायक आयुक्त आलोक खरे पर भी कार्रवाई हुई थी। इसके अलावा नवल सिंह जामोद और पराक्रम सिंह चंद्रावत पर भी जांच एजेंसियों ने छापे मारे थे। इन सभी के यहां अकूत संपत्तियां मिली थीं।

आलोक खरे

हाल ही में सरकार ने इनके खिलाफ लोकायुक्त केस में अभियोजन की मंजूरी दी थी। इसके बाद सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। लोकायुक्त ने 2019 में आलोक खरे के सात ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। ये सभी ठिकाने भोपाल, इंदौर, रायसेन और छतरपुर में मौजूद थे।

इस दौरान करीब 100 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ था। छापों में नकदी, सोना, फार्महाउस, बंगले और पेंटहाउस के दस्तावेज बरामद हुए थे। जांच में यह भी सामने आया कि रायसेन के फार्महाउस में फलों की खेती से आय दिखाई गई थी। वहीं, जिन ट्रकों से फल का ट्रांसपोर्टेशन दिए असल में ऑटो रिक्शा के नंबर पर पंजीकृत थे। छापेमारी में दो किलो सोना भी बरामद किया गया था।

5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला

देवास की प्रभारी सहायक आबकारी आयुक्त मंदाकिनी दीक्षित पर 7.5 लाख की रिश्वत लेने का आरोप, जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।

हाल ही में रिटायर जिला आबकारी अधिकारी धर्मेंद्र सिंह भदौरिया की 29 करोड़ की संपत्ति का खुलासा हुआ, जिसमें 10 करोड़ से अधिक का सोना शामिल था।

इंदौर में सहायक आयुक्त आलोक खरे पर लोकायुक्त ने 2019 में छापा मारा, जिसमें 100 करोड़ की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ।

अन्य अधिकारियों, जैसे पराक्रम सिंह चंद्रावत और नवल सिंह जामोद, पर भी आय से अधिक संपत्ति मिलने के आरोप लगे हैं।

मंदाकिनी दीक्षित पर शराब ठेकेदार ने आरोप लगाया कि वह प्रत्येक दुकान से डेढ़ से दो लाख रुपए की रिश्वत मांगती थीं।

पराक्रम सिंह चंद्रावत

धार में पदस्थ रहे जिला आबकारी अधिकारी चंद्रावत के यहां सात साल पहले लोकायुक्त ने छापा मारा था। इसमें घर से 18 लाख की लग्जरी घड़ी मिली थी। उनके बंगले में 90-90 लाख की तीन लग्जरी कारें भी थीं।

चंद्रावत स्वर्गीय पूर्व कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के भती शहीद पिता के बाद 2001 में नौकरी में आए थे। उनकी संपत्ति 50 बताई गई थी। घर से एक करोड़ कीमत के गहने मिले थे। साथ ही, लंबी-चौड़ी जमीन भी मिली थी।

नवल सिंह जामोद

आबकारी उपायुक्त पद पर रहे नवल सिंह जामोद के यहां साल 2014 में छापा पड़ा था। जब उनके पास आय से अधिक संपत्ति मिली थी। हालत यह थी कि वह जिस बिस्तर पर सोते थे, उसके नीचे ही नोटों के बंडल मिले थे। इंदौर में तीन मंजिला मकान, धार में प्लॉट, झाबुआ, कुक्षी में अचल संपत्तियां यह सब पाया गया था। साथ ही 32 लाख नकद मिले थे।

धर्मेंद्र सिंह भदौरिया

लोकायुक्त इंदौर ने 15 अक्टूबर को धर्मेंद्र सिंह भदौरिया पर छापा मारा था। इसमें अभी तक 29 करोड़ की संपत्ति सामने आ चुकी है। घर से एक ही अलमारी से 5.48 करोड़ का सोना के साथ ही चांदी, 1.13 करोड़ नकदी मिली थी। इनके पास करीब 10 करोड़ का तो सोना ही मिला था।

संजीव दुबे

जबलपुर में पदस्थ सहायक आयुक्त आबकारी संजीव दुबे पर 71 कण के आरोप लग चुके हैं। यह घोटाला इंदौर में हुआ था। इसमें कई ठेकेदार शामिल थे। ईडी ने इस मामले में जांच शुरू की और संपत्ति कुर्क करना शुरु कर दिया है। हालांकि, अब अधिकारियों तक ईडी नहीं पहुंची है। इस मामले में संजीव दुबे की भी जांच हो रही है।

मंदाकिनी दीक्षित

शराब ठेकेदार दिनेश मकवाना ने सहायक आयुक्त आबकारी मंदाकिनी दीक्षित के खिलाफ वीडियो बनाया था। इसमें उसने आरोप लगाए कि दीक्षित हर दुकान से डेढ़ से दो लाख महीने मांगती थीं। पांच दुकानों से साढ़े सात लाख रुपए की मांग थी।

अब तक 20-22 लाख दे चुके थे, लेकिन रिश्वत न देने पर वह वेयरहाउस से माल नहीं उठाने देती थीं। इन आरोपों के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सख्ती दिखाई और दीक्षित को सस्पेंड कर दिया है।

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