भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में एक दिलचस्प लेकिन गंभीर बहस देखने को मिली, जब संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने यह सलाह देकर सबका ध्यान खींच लिया कि विधानसभा सत्र ऐसे समय न रखे जाएं जब शादी-ब्याह का मौसम चरम पर हो. मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि शादी समारोहों की वजह से कई विधायकों के लिए सदन की कार्यवाही में उपस्थित रहना मुश्किल हो जाता है पारिवारिक जिम्मेदारियों और सार्वजनिक दायित्वों के बीच फंसे विधायकों की समस्या को उठाते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में सत्र की तारीखें तय करते समय इस व्यावहारिक पहलू को ध्यान में रखा जाना चाहिए. उनका यह बयान हल्के अंदाज़ में सामने आया, लेकिन इसके पीछे विधायकों की लगातार अनुपस्थिति का मुद्दा स्पष्ट रूप से झलक रहा था।
सत्र का यह आखिरी दिन था और कई महत्वपूर्ण मुद्दे सदन में उठे. प्रश्नकाल के दौरान मंत्री ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि अनेक विधायक महत्वपूर्ण चर्चा के समय सदन में मौजूद नहीं रहते. उन्होंने कहा कि जब विधायक ही नदारद रहेंगे, तो जनता से जुड़े मुद्दों पर गंभीर बहस कैसे हो पाएगी. यह टिप्पणी सीधे तौर पर उन जनप्रतिनिधियों की ओर इशारा करती है जो निजी कार्यक्रमों में व्यस्त होकर संवैधानिक दायित्वों को पीछे कर देते हैं।
इसी बीच नगरीय प्रशासन से जुड़े एक बड़े मामले पर भी मंत्री ने अहम घोषणा की. उन्होंने कहा कि कई अधिकारी प्रभाव और सिफारिश के दम पर नगरीय निकायों में प्रतिनियुक्ति पर आ जाते हैं और फिर वर्षों तक वहीं जमे रहते हैं. अब ऐसी प्रति नियुक्तियों पर सख्त रुख अपनाया जाएगा. जो भी अधिकारी मनमर्जी या दबाव के आधार पर पोस्टिंग लेकर आए हैं
, उन्हें वापस भेजा जाएगा. उन्होंने यह भी साफ किया कि जरूरत के हिसाब से ही किसी अधिकारी को प्रतिनियुक्ति पर रखा जाएगा. इस बयान से साफ है कि नगरीय निकायों में लंबे समय से जमे हुए अफसरों की अब खैर नहीं। सदन में भाजपा विधायक बृज बिहारी पटेरिया द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्री ने इस नीति को और स्पष्ट किया. वहीं, भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठा. भाजपा विधायक कालू सिंह ठाकुर ने नगर परिषदों में अधिक बिल लगाने, सफाई कर्मचारियों को ज्यादा भुगतान करने जैसी गड़बड़ियों का मुद्दा उठाया और कहा कि ऐसे मामलों में सीएमओ को तत्काल हटाया जाना चाहिए. इस पर मंत्री ने सहमति जताते हुए कहा कि धामनोद क्षेत्र बहुत बड़ा है और यहां एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. साथ ही यह भी बताया कि संबंधित सीएमओ को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
इसके अलावा कांग्रेस विधायक सोहनलाल वाल्मीकि ने चांदामेटा क्षेत्र में ऑडिटोरियम निर्माण से जुड़ा मुद्दा उठाया. जवाब में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि नए ऑडिटोरियम के निर्माण में बहुत खर्च आएगा, इसलिए गीता भवन को ही ऑडिटोरियम के रूप में विकसित करने पर विचार किया जा रहा है। दिनभर की कार्यवाही ने यह साफ कर दिया कि विधानसभा सत्र के आखिरी दिन भी बहसें उतनी ही तीखी और महत्वपूर्ण रहीं जितनी पूरे सत्र के दौरान थीं. अब देखना यह होगा कि शादी समारोह के बीच सत्र न रखने की सलाह और प्रतिनियुक्ति पर आए अफसरों को वापस भेजने की घोषणा जमीन पर कब तक दिखने लगती है।
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