जयपुर: राजस्थान की राजनीति में विधायक निधि से जुड़े कार्यों को लेकर एक बड़ा और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि विकास कार्यों की अनुशंसा के बदले कुछ विधायक खुले तौर पर कमीशन की मांग कर रहे हैं। यह मामला सामने आने के बाद सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है। इस रिपोर्ट में खींवसर से भाजपा विधायक, हिंडौन की कांग्रेस विधायक और बयाना (भरतपुर) की निर्दलीय विधायक का नाम सामने आया है। इस मामले के सामने आने के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाओं और संभावित जांच को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
डमी फर्म बनाकर की गई पड़ताल
इस कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए एक अखबार के रिपोर्टर ने खुद को एक डमी फर्म का प्रोपराइटर बताया। रिपोर्टर ने विधायकों को बताया कि उनकी फर्म खादी ग्रामोद्योग बोर्ड से संबद्ध है और विधायक निधि से सरकारी स्कूलों में दरी-फर्श (कारपेट) सप्लाई का काम करती है। बताया गया कि काम की लागत, जरूरत या गुणवत्ता पर चर्चा करने के बजाय विधायकों का पूरा ध्यान केवल कमीशन की राशि पर रहा।
इन तीन विधायकों से हुई कथित डील
जांच में खींवसर से भाजपा विधायक रेवंतराम डांगा, हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव और बयाना (भरतपुर) से निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत का नाम सामने आया है। आरोप है कि भाजपा विधायक डांगा ने 40 प्रतिशत कमीशन की मांग करते हुए 50 लाख रुपए के काम का भरोसा दिया। कांग्रेस विधायक अनीता जाटव पर 50 हजार रुपए लेकर 80 लाख रुपए के कार्य की अनुशंसा देने का आरोप है। वहीं निर्दलीय विधायक ऋतु बनावत के पति द्वारा 40 लाख रुपए की डील फाइनल किए जाने का दावा किया गया है।
अनुशंसा पत्र भी जारी, अब MLA फंड को लेकर उठे सवाल
जांच में यह भी सामने आया कि डांगा और अनीता जाटव ने जिला परिषद के सीईओ के नाम अनुशंसा पत्र जारी कर दिए। आरोप है कि यह सब बिना यह जांचे किया गया कि संबंधित कार्य की वास्तविक जरूरत क्या है। राजस्थान में प्रत्येक विधायक को विधानसभा सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MLA LAD) के तहत हर साल 5 करोड़ रुपए की राशि मिलती है। इस राशि के उपयोग को लेकर पारदर्शिता और निगरानी पर अब गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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