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आसमान से पाताल तक इंदौर की पहुंचIndore's reach from the sky to the underworld

 चैम्बर में लगी ये सीढ़ी दे रही है सीवरेज में सुरंग का सुराग

नवाचारों की नगरी बन चुका इंदौर देश का पहला ऐसा शहर बन चुका है, जिसकी पहुंच धरती तक सीमित नहीं रही...। आसमान से लेकर पाताल तक इंदौर का बिकास झंडे गाड़ रिया है...। ओंकारेश्वर और उज्जैन जाने के लिए हेलीकॉप्टर उड़ रिया है...। वहीं, होलकरों के जमाने की सुरंग व्यवस्था पर भी नगर निगम तेजी से काम कर रिया है...। बजट की कमी है, इसीलिए पहले चरण में सिवरेज लाइनों का सुरंग बनाया जाएगा...। यहां पैसा नहीं लगेगा। जाने का मन है तो चैम्बर ढूंढ लो...। जनसहयोग से चैम्बरों में सीढ़ी तक लगा दी गई है.. ताकि किसी को उतरने में दिक्कत नी हो...।


शहर के जननायकों और अफसरों के साथ ही मीडिया के सरकारी समाचारों की मानें तो इंदौर में जोरदार काम हो रिया है...। भिया, बहुत तेज काम हो रिया है...। थोड़े-भोत दिन में हम दिल्ली-बम्बई को पीछे छोड़ देंगे..। इत्ता...काम..। किसी ने आज तक देखा क्या? शहर के बिकास पुरुष भिया का काम हर किसी की समझ में नी आएगा...। भिया..यहां आदत पढ़ गई लोगों की बेजबरन में कमी निकालने की।  

नादान हैं...। समझ भी नी पाएंगे...। इन्ने इतने काम, एक साथ होते थोड़ी देखे हैं...। इनको तो बस सड़क के गड्‌ढे, जाम, चौराहे की चकल्लस, चौक सिवरेज, टूटे चैम्बर, बंद स्ट्रीटलाइट, गलियों की गंदगी, पानी की कील्लत और काम के नाम पर ऑफिसों से मिली जिल्लत ही दिखती है..। अमा.. यार..। आलोचना की परम्परा छोड़ो...। 

इंदौर के भिया दयालू...दादा...बाबा, नकारात्मक विचार छोड़ों...। नगर निगम, इंदौर विकास प्राधिकरण, पीडब्ल्यूडी, एनएचएआई, कलेक्टर, पुलिस जो भी काम कर रिए हैं, उनको सकारात्मक नजरिए से देखो...। तब आपको भी शहर की सड़कों के गड्ढे भी स्पीड मैनेजमेंट का जरिया दिखेंगे..। सड़कों पर जमा पानी भू-जलस्तर बढ़ाने का जरिया... ठेले-गुमटी स्वरोजगार योजना...अवैध कॉलोनियां भू-माफियाओं की गरीबों के लिए प्राइवेट आवास योजना नजर आएगी। कान्ह नदी शुद्ध और धूल हेलमेट पहनाने का सरकारी तरीका है। समझ जाओगे...। 

आपको लगता होगा कि चैम्बर के ढक्कन टूट गए हैं..। ऐसा नहीं है.. ढक्कन का टूटना सरकारी योजना का हिस्सा है। यह व्यवस्था है, आपको जाम और यातायात के दबाव से मुक्ति दिलाने की...। ये बात अलग है कि नेटवर्क थोड़ा उलझा हुआ है। आना-जाना शुरू होगा, तो नेटवर्क भी सुलझ ही जाएगा..। आप बिकास पुरुष भियाओं पर भरोसा करो और उतरो तो...। मंजिल खुद ब खूद मिल जाएगी। थोड़ी-बहुत बदबू आएगी...। नाक पे हाथ रखना और बढ़ते रहना, जैसे शहर में कचरे या नाले के पास से निकलते हो..। आदत है, आपको तो...।

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