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लोक अदालत के बाद नगर निगम सख्त, अब हर वार्ड की संपत्तियों की होगी गहन जांचFollowing the Lok Adalat (people's court) proceedings, the municipal corporation has become stricter and will now conduct a thorough inspection of properties in every ward.

 नगर निगम में उड़नदस्तों की यह व्यवस्था कोई नई नहीं है

इन्दौर। लोक अदालत के माध्यम से सौ करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व जुटाने के बाद अब नगर निगम ने शहरभर में संपत्तियों की छानबीन का बड़ा अभियान शुरू करने की तैयारी कर ली है। निगम ने इसके लिए अफसरों और बिल कलेक्टरों को शामिल करते हुए दो विशेष उड़नदस्तों का गठन किया है, जो किसी भी वार्ड में अचानक पहुंचकर मौके पर नपती करेंगे और संपत्ति कर से जुड़ी हर तरह की जानकारी की जांच करेंगे। इन उड़नदस्तों का उद्देश्य यह देखना होगा कि संपत्तियों का सही उपयोग हो रहा है 


या नहीं और निगम के रिकॉर्ड के अनुसार कर जमा किया जा रहा है या नहीं। लोक अदालत से पहले नगर निगम ने बड़े बकायादारों को सूचना पत्र भेजकर बकाया राशि जमा करने और छूट का लाभ लेने का अवसर दिया था। थोक में भेजे गए नोटिस और व्यापक प्रचार का असर यह हुआ कि लोक अदालत के दिन सुबह से देर रात तक करदाताओं की भीड़ उमड़ी और शहर के लगभग सभी जोनों में अच्छी-खासी राजस्व वसूली दर्ज की गई। हालांकि कुछ जोन अपेक्षाकृत कमजोर भी रहे, लेकिन कुल मिलाकर निगम को बड़ा वित्तीय लाभ मिला।

अब लोक अदालत के निपटने के बाद निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव के निर्देश पर गठित उड़नदस्ते शहर के अलग-अलग इलाकों में सक्रिय होंगे। इन टीमों द्वारा प्रमुख बाजारों, व्यस्त चौराहों के साथ-साथ महंगे आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों की विशेष जांच की जाएगी। जांच के दौरान यह देखा जाएगा कि किसी मकान या दुकान का वास्तविक क्षेत्रफल कितना है और निगम के रिकॉर्ड में कितना दर्शाया गया है। मौके पर मौजूद वास्तविक स्थिति और दस्तावेजों में दर्ज जानकारी का मिलान किया जाएगा। इसके साथ ही आवासीय क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित व्यावसायिक गतिविधियों की भी पड़ताल की जाएगी, ताकि कर चोरी और नियमों के उल्लंघन पर रोक लगाई जा सके।

इन उड़नदस्तों में उपायुक्त के.एस. सगर, सहायक राजस्व निरीक्षक विजेन्द्र पाल, शुभम चौहान, अजीम खान, दीपक शर्मा, विनोद पाण्डे, मनीष कुरवाड़े, सतीश पाल सहित कई अनुभवी बिल कलेक्टरों को शामिल किया गया है। दोनों उड़नदस्तों में शामिल अधिकारी हर दिन अलग-अलग क्षेत्रों में कार्रवाई के लिए निकलेंगे और इसकी जानकारी पूर्व में वरिष्ठ अधिकारियों को देंगे, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे

। करीब बीस साल पहले भी राजस्व वसूली और संपत्तियों की जांच के लिए ऐसे ही उड़नदस्ते बनाए गए थे, जो अलग-अलग इलाकों में जाकर जांच करते और जरूरत पड़ने पर प्रकरण भी दर्ज करते थे। बाद में विभिन्न कारणों से इन उड़नदस्तों को भंग कर दिया गया था और लंबे समय से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। अब एक बार फिर उड़नदस्तों के गठन से यह संकेत मिल रहा है कि नगर निगम संपत्ति कर वसूली और नियमों के पालन को लेकर सख्ती बरतने के मूड में है और आने वाले दिनों में कई मामलों का खुलासा हो सकता है।

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